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“आईटीसी मिशन सुनहरा कल के संग – हरिद्वार की गंगा घाट पर गूंजा स्वच्छता का बिगुल, ‘एक घंटा, एक दिन, एक साथ’ के संकल्प से जनमानस ने उठाया गंगा माँ को निर्मल रखने का बेड़ा!”

(शहजाद अली हरिद्वार) हरिद्वार। “स्वच्छता ही सेवा – स्वच्छोत्सव 2025” के अंतर्गत 25 सितम्बर 2025 को हरिद्वार की हृदयस्थली हर की पैड़ी पर आईटीसी मिशन सुनहरा कल और श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम के संयुक्त प्रयास से एक प्रेरणादायी स्वच्छता एवं जागरूकता अभियान आयोजित किया गया। अभियान की थीम थी – “एक घंटा, एक दिन, एक साथ”, जिसका उद्देश्य गंगा की स्वच्छता को जनसहभागिता से जोड़ना और सामूहिक जिम्मेदारी का संदेश देना था।मुख्य गतिविधियों में सबसे पहले जागरूकता रैली निकाली गई, जिसमें प्रतिभागियों ने स्वच्छता के नारे लगाते हुए स्थानीय लोगों और दुकानदारों से प्लास्टिक का उपयोग कम करने और कचरे का सही निस्तारण करने की अपील की। नागरिकों को पंपलेट वितरण के माध्यम से गीले-सूखे कचरे के पृथक्करण और घर पर ही खाद बनाने की सरल प्रक्रिया समझाई गई। साथ ही सूखे कचरे को स्वच्छ दूतों को सौंपने से होने वाले आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ बताए गए।गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं और पंडितों से विशेष अपील की गई कि वे अपने यजमानों और आगंतुकों को गंगा की पवित्रता बनाए रखने का संदेश दें। लोगों से आग्रह किया गया कि स्नान के बाद गीले वस्त्र और प्लास्टिक घाट पर न छोड़कर केवल निर्धारित डस्टबिन में ही डालें। घाट पर बने कपड़े बदलने के स्थलों की साफ-सफाई का संकल्प भी लिया गया। इस अभियान में लगभग 500 श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गंगा को स्वच्छ रखने की सामूहिक प्रतिज्ञा ली।गंगा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और जीवनदायिनी भी है। इसे मोक्षदायिनी माना गया है और करोड़ों लोगों की आस्था गंगा से जुड़ी हुई है। गंगा का शुद्ध जल कृषि, उद्योग और पेयजल का आधार है। इसके जल में प्राकृतिक रोगनाशक गुण भी हैं, जो तभी सुरक्षित रह सकते हैं जब हम इसमें अपशिष्ट और प्रदूषण न डालें।विशेष रूप से इस अभियान में शिखा सैनी, आदित्य सैनी, लुबना अंसारी, सुशीला मलिक, वनिता रावत, दीपिका सोनी सहित कई कार्यकर्ताओं ने सक्रिय योगदान दिया।यह आयोजन केवल सफाई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामूहिक जागरूकता और जनचेतना का प्रतीक बना। गंगा की निर्मलता बनाए रखना केवल सरकार या संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का धर्म और कर्तव्य है।

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