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“उत्तराखण्ड की वित्तीय मजबूती और विकास आवश्यकताओं पर मुख्यमंत्री ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखे ठोस सुझाव”

(शहजाद अली हरिद्वार)मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित बैठक में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया एवं अन्य सदस्यों के साथ प्रदेश की वित्तीय स्थिति, विकास आवश्यकताओं और चुनौतियों पर राज्य का पक्ष विस्तार से प्रस्तुत किया।

उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष में आयोग के सदस्यों का स्वागत किया।मुख्यमंत्री ने “Environmental Federalism” की भावना के अनुरूप उत्तराखण्ड को पर्यावरणीय सेवाओं की क्षतिपूर्ति देने की मांग की।

साथ ही कर-हस्तांतरण में वन आच्छादन हेतु भार 20% तक बढ़ाने तथा वनों के प्रबंधन के लिए विशेष अनुदान पर विचार का सुझाव दिया।

उन्होंने बताया कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में निजी निवेश सीमित है, जिससे इन क्षेत्रों के लिए विशेष बजट आवश्यक होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड ने बीते 25 वर्षों में वित्तीय प्रबंधन, प्रति व्यक्ति आय, और बेरोजगारी में उल्लेखनीय सुधार किया है। उन्होंने SARAA योजना और भागीरथ ऐप जैसे जल संरक्षण अभियानों के लिए विशेष वित्तीय सहायता का आग्रह किया।

राजकोषीय अनुशासन और टैक्स प्रयास को डिवोल्यूशन के मानदंड में शामिल करने और रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की जगह रेवेन्यू नीड ग्रांट लागू करने की मांग की।

आयोग 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपेगा।

वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. पनगढ़िया ने राज्य के विकास की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड समेत पर्वतीय राज्यों की समस्याओं पर व्यापक विचार होगा। आयोग 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपेगा। बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य की चुनौतियों पर प्रस्तुतीकरण भी दिया।

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