(शहजाद अली हरिद्वार) देहरादून।भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री कमलेश रमन ने कहा कि आज़ादी के बाद भारत ने अपने लोकतंत्र की नींव बड़े विश्वास और समानता के सिद्धांतों पर रखी थी।
1952, 1957, 1962 और 1967 में पूरे देश में एकसाथ चुनाव हुए — वह भी तब, जब देश तकनीकी दृष्टि से नवजात था, संसाधन सीमित थे, और संचार के साधन नगण्य थे।
फिर क्या हुआ कि समय के साथ यह परंपरा टूटी? कारण स्पष्ट है — सत्ता में रही कांग्रेस ने चुनावों को अपनी राजनीतिक सुविधा का साधन बना लिया। राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव करवा कर उन्होंने लोकतंत्र को बोझिल और महंगा बना दिया।
आज भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश सुशासन, पारदर्शिता और सबका साथ-सबका विकास की ओर अग्रसर है। “वन नेशन, वन इलेक्शन” इस सुशासन का मूल आधार बन सकता है।
आज हमारे पास हर संसाधन है — आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षित कर्मचारी, मजबूत चुनाव आयोग, और सबसे बड़ी बात — एक जागरूक जनता। ऐसे में बार-बार चुनावों के कारण पड़ने वाला आर्थिक बोझ, प्रशासनिक ठहराव और विकास की रुकावट अब अस्वीकार्य है।
“एक देश, एक चुनाव” न केवल चुनाव प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाएगा, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को सशक्त करेगा। यह विचार केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण का प्रतीक है।
समय आ गया है कि हम फिर से उस व्यवस्था की ओर लौटें, जहां लोकतंत्र की शक्ति एकजुट हो — जहां जनादेश एक स्वर में बोले, और जनकल्याण बिना रुके आगे बढ़े।
