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विवाह आध्यात्मिक यात्रा,जिसमें समझ, सहनशीलता और समर्पण आवश्यक है: स्वामी अवधेशानंद गिरी

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार। देवभूमि विकास संस्थान के तत्वावधान में महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का उद्देश्य समाज में तेजी से बढ़ती तलाक की प्रवृत्ति पर विचार करना एवं इससे निवारण के उपाय तलाशना था। सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने प्री-वेडिंग काउंसलिंग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए चार महत्वपूर्ण वर्गों के लिए मार्गदर्शन की बात कही। जिनमें पहले निकट भविष्य में वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने जा रहे जोड़ों को वैवाहिक जीवन की वास्तविकताओं के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार करना। दूसरे चरण में उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले युवाओं को नैतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक मूल्यों से परिचित कराना। इसी क्रम में उन्होंने माता-पिता कि लिए भी मार्गदर्शन को आवश्यक बताया। जो अपनी संतानों को संस्कारित जीवन के लिए प्रेरित कर सकते हैं और स्वयं भी समर्पण और संवाद का उदाहरण बन सकते हैं। चौथे वर्ग में उन लोगों को शामिल करने की जरूरत बताई जो स्वयं भुक्तभोगी है और तलाक या संबंध-विच्छेद की पीड़ा से गुज़र चुके हैं, उनके अनुभवों से समाज को सीखने की आवश्यकता है। स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा कि विवाह केवल सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा है। जिसमें समझ, सहनशीलता और समर्पण आवश्यक है।
सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लिव-इन रिलेशनशिप के दुष्परिणामों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रवृत्ति न केवल पारिवारिक ढांचे को प्रभावित कर रही है, बल्कि समाज में अस्थिरता और असमंजस भी बढ़ा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन देने के लिए संस्थागत प्रयास आवश्यक हैं। बैठक में रमेंद्री मंद्रवाल, एडवोकेट रवि नेगी, सतेंद्र नेगी, डा. राकेश भट्ट, प्रमोद रावत, डा.एचसी पुरोहित, कृति रावत, यशवंत रावत समेत विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, समाजसेवियों तथा युवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। युवाओं को वैवाहिक जीवन के लिए तैयार करने और तलाकी प्रवृति पर रोक लगाने के लिए देवभूमि विकास संस्थान शीघ्र ही प्री-वेडिंग काउंसलिंग सत्रों की श्रृंखला भी शुरू करेगा।

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