(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार।पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आज पुलिस लाइन रोशनाबाद का वातावरण अत्यंत भावुक हो उठा, जब शहीद स्मारक पर आयोजित
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर जवानों को नमन किया।
इस अवसर पर जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोबाल, पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों एवं जवानों ने शहीदों को याद करते हुए पुष्पचक्र अर्पित किए और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
कार्यक्रम का शुभारंभ पुलिस बैंड द्वारा बजाए गए शोक धुन के साथ हुआ। पूरे परिसर में जब “अमर रहे हमारे शहीद” की आवाज़ गूंजी, तो उपस्थित हर अधिकारी और कर्मचारी की आंखें नम हो उठीं।
पुलिस लाइन का शहीद स्मारक इस अवसर पर पुष्पों से सजा हुआ था, जहां हर एक शहीद का नाम और उसकी वीरता की गाथा अंकित थी।
एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल ने किया शहीदों के परिजनों का सम्मान
इस अवसर पर एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र डोबाल ने कहा कि पुलिस स्मृति दिवस केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि यह दिन हमें अपने उन साथियों की याद दिलाता है जिन्होंने देश की सुरक्षा और नागरिकों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
उन्होंने कहा, “हर पुलिसकर्मी के दिल में यह भावना होनी चाहिए कि वर्दी पहनने का मतलब केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक पवित्र जिम्मेदारी है। हमारे शहीद साथी हमें सिखाते हैं कि कर्तव्य के लिए समर्पण ही असली सेवा है।”
उन्होंने आगे कहा कि “हरिद्वार पुलिस अपने शहीदों की वीरता को सलाम करती है और उनके परिवारों के साथ सदैव खड़ी है। पुलिस का हर जवान, हर अधिकारी आज यह संकल्प ले कि शहीदों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।”
सलामी गार्ड ने दी अंतिम सलामी
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान सलामी गार्ड द्वारा शहीद जवानों को शोक सलामी दी गई। गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान पूरा माहौल शोक और गर्व से भर गया। पुलिस बैंड द्वारा राष्ट्रगान और शोक धुन बजाने के बाद दो मिनट का मौन रखकर सभी ने शहीदों को नमन किया।
देशभर के 186 जवानों ने किया सर्वोच्च बलिदान
पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर यह जानकारी दी गई कि दिनांक 01 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2025 तक के दौरान सम्पूर्ण भारत में पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों के 186 जवान ड्यूटी के दौरान शहीद हुए।
इनमें से उत्तराखंड पुलिस के 4 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इन जवानों की शहादत को याद करते हुए हरिद्वार पुलिस ने कहा कि उनका बलिदान सदा अमर रहेगा।
शहीदों के परिजनों को दिया गया सम्मान
कार्यक्रम में शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को भी आमंत्रित किया गया था। एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल ने स्वयं उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया।
उन्होंने कहा कि “इन परिवारों ने जो खोया है, उसे कोई वापस नहीं ला सकता, लेकिन हरिद्वार पुलिस परिवार सदैव उनके साथ खड़ा रहेगा।”
इस मौके पर कई पुलिस अधिकारी शहीद परिवारों से मिले और उनके साहस की सराहना की।
पुलिस बल का गौरवपूर्ण इतिहास
कार्यक्रम के दौरान एसपी क्राइम/ट्रैफिक, एसपी देहात, एसपी सिटी, एएसपी सदर, सीओ मंगलौर, सीओ लक्सर, सीओ यातायात, सीओ भगवानपुर, सीओ सिटी, सीएफओ हरिद्वार सहित बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
सभी ने एक स्वर में कहा कि भारतीय पुलिस बल का इतिहास वीरता, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा से भरा है। चाहे आतंकवाद से लड़ाई हो, आपदाओं के दौरान बचाव कार्य या कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की चुनौती—हर जगह पुलिस के जवानों ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा है।
पुलिस स्मृति दिवस का महत्व
पुलिस स्मृति दिवस प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में भारत-चीन सीमा पर हुई उस घटना की याद में मनाया जाता है,
जब चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में भारत के 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। तभी से हर वर्ष इस दिन पूरे देश में पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है,
ताकि उन जवानों के बलिदान को याद किया जा सके जिन्होंने देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
हरिद्वार पुलिस का संकल्प
कार्यक्रम के अंत में एसएसपी डोबाल ने कहा कि “हम सबको मिलकर यह सुनिश्चित करना है कि शहीदों की यह परंपरा केवल इतिहास न बने, बल्कि हम उनकी सोच और साहस को आगे बढ़ाएं। हरिद्वार पुलिस हमेशा अपने शहीद साथियों के आदर्शों पर चलेगी।”
उन्होंने कहा कि पुलिस का काम केवल अपराध रोकना या कानून व्यवस्था बनाए रखना नहीं है, बल्कि समाज में विश्वास और सुरक्षा का माहौल बनाना भी है।
एसपी सिटी ने कहा कि हरिद्वार पुलिस की हर इकाई इस बात के लिए समर्पित है कि जनता की सेवा में कोई कमी न रहे। वहीं एसपी देहात ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में पुलिस का प्रयास रहेगा कि हर नागरिक को सुरक्षा और न्याय का भरोसा मिले।
श्रद्धा, सम्मान और प्रेरणा का दिवस
पूरा कार्यक्रम श्रद्धा, अनुशासन और भावनाओं से भरा रहा। पुलिस स्मारक के सामने जब मोमबत्तियाँ जलाई गईं, तो हर दीपक शहीदों की अमर ज्योति की तरह टिमटिमा रहा था। पुलिस लाइन में उपस्थित सभी अधिकारियों ने अपने शहीद साथियों के नाम दोहराए और मौन रहकर उन्हें नमन किया।
अंत में राष्ट्रगान के साथ श्रद्धांजलि समारोह का समापन हुआ। परंतु हरिद्वार पुलिस के दिलों में यह भावना और भी प्रबल हो गई कि वर्दी केवल पहनावा नहीं, बल्कि एक व्रत है — जनता की सुरक्षा, देश की सेवा और शहीदों के आदर्शों पर चलने का।
संक्षेप में कहा जाए तो —
पुलिस स्मृति दिवस केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह दिन हमें अपने कर्तव्य, निष्ठा और बलिदान के मूल्यों की याद दिलाता है। हरिद्वार पुलिस ने आज यह संदेश दिया कि वे अपने शहीद साथियों के दिखाए मार्ग पर चलने के लिए सदैव तत्पर हैं और हरिद्वार की धरती उन वीरों के बलिदान को सदैव स्मरण रखेगी।“शहीद जवान अमर रहें, उनका साहस प्रेरणा बने।”




































