(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार/लक्सर, 01 जुलाई 2025 –
जनपद हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने मंगलवार को लक्सर तहसील के दूरस्थ गांव ढाढ़ेरी पहुंचकर सोलानी नदी के तटबन्ध क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने प्रशासनिक अमले के साथ लगभग 1 किलोमीटर का कीचड़ भरा, ऊबड़-खाबड़ और झाड़ियों से भरा रास्ता पैदल तय किया,
जो ढाढ़ेरी और कुआंखेड़ा गांवों के बीच स्थित है। यह मार्ग अत्यंत दुर्गम होने के बावजूद जिलाधिकारी ने स्वयं स्थल पर पहुंचकर तटबन्ध की स्थिति का जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सोलानी नदी के तटबन्ध की संवेदनशीलता और भूकटाव के संभावित खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ओम जी गुप्ता को त्वरित रूप से स्टीमेट तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि तटबन्ध के संरक्षण हेतु शीघ्र कार्यवाही प्रारंभ की जाए, जिससे वर्षा ऋतु में संभावित बाढ़ या भूमि कटाव जैसी आपदाओं को रोका जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्य को उच्च प्राथमिकता पर लिया जाए और आवश्यकतानुसार संसाधनों की व्यवस्था करते हुए समयबद्ध तरीके से कार्य प्रारंभ किया जाए।
इस दौरान सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ओम जी गुप्ता ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि सोलानी नदी की ढाल अपेक्षाकृत कम है और नदी की प्रवाह दिशा में परिवर्तन होने से नदी द्वारा भूमि का कटाव किया जा सकता है,
जिससे तटबन्ध को नुकसान पहुंचने की आशंका बनी रहती है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पूर्व में भी ऐसे स्थानों को चिन्हित किया गया है जहां खतरे की अधिक संभावना है।
निरीक्षण के दौरान उपस्थित ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों ने भी नदी के बहाव, भूकटाव तथा किसानों की भूमि को हो रहे नुकसान के बारे में जिलाधिकारी को विस्तार से जानकारी दी
जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि शासन प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले रहा है और जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा और कृषि भूमि की रक्षा शासन की प्राथमिकताओं में शामिल है।
इस अवसर पर उप जिलाधिकारी सौरभ असवाल, सीओ लक्सर नताशा सिंह, सिंचाई विभाग के अधिकारी ओम जी गुप्ता, ग्राम प्रधान राजपाल सिंह के साथ ग्रामीण शिव कुमार, नकली सिंह, चरण सिंह, चंद्रपाल, राजेश शर्मा, शेषपाल, ओमपाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
जिलाधिकारी का यह निरीक्षण न केवल प्रशासनिक सक्रियता का परिचायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है
कि शासन अब जमीनी हकीकत को समझते हुए ग्रामीणों की समस्याओं के त्वरित समाधान की दिशा में गंभीरता से कार्य कर रहा है।
