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“कांवड़ मेला 2025 में उत्तराखंड सरकार का ऐतिहासिक स्वास्थ्य मॉडल: लाखों श्रद्धालुओं को सुरक्षित, सुलभ और तकनीकी रूप से सशक्त चिकित्सा सेवाएं देकर रचा नया कीर्तिमान, कुंभ 2027 के लिए बना अनुकरणीय उदाहरण”

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार। उत्तराखंड की पावन धरती पर आयोजित कांवड़ मेला 2025 इस बार कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। करोड़ों की आस्था के इस महापर्व में इस बार धामी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया, उसने न केवल प्रदेश की क्षमता को प्रमाणित किया बल्कि आगामी कुंभ 2027 के लिए एक अनुकरणीय और नवोन्मेषी मॉडल भी प्रस्तुत किया। सावन के इस महीने में जब कांवड़ यात्रा अपने चरम पर थी, राज्य सरकार की योजना, तैयारी और समर्पण ने दिखा दिया कि जनसेवा, तकनीक और अनुशासन का समन्वय यदि सही दिशा में हो, तो असंभव भी संभव हो जाता है।

स्वास्थ्य सेवा में नया कीर्तिमान

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के अनुसार, इस बार कांवड़ यात्रा मार्ग में 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को निःशुल्क, त्वरित और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गईं। यह संख्या अपने आप में एक रिकॉर्ड है। यात्रा मार्ग में आने वाले जनपदों के आंकड़ों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने अभूतपूर्व कार्य करते हुए सीमित संसाधनों, मौसम की विषमताओं और अत्यधिक भीड़ के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया।

इस सफलता का श्रेय केवल सरकार की नीति को ही नहीं, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को भी जाता है। विशेष रूप से हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के. सिंह की भूमिका इस अभियान में निर्णायक रही। उन्होंने न केवल रणनीतियों को प्रभावी तरीके से लागू किया, बल्कि निरंतर मॉनिटरिंग कर सुधारात्मक उपाय भी सुनिश्चित किए।

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हुआ बेहतरीन प्रबंधन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग ने मेला क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का संकल्प है कि हर श्रद्धालु को सुरक्षित, सम्मानित और स्वस्थ यात्रा अनुभव हो। इसी दृष्टिकोण से स्वास्थ्य सेवाओं को योजना के केंद्र में रखा गया। उनके मार्गदर्शन में चिकित्सा सुविधाओं, स्टाफ की तैनाती, तकनीकी व्यवस्था और आपातकालीन सेवाओं को पहले से दुरुस्त किया गया।

आगामी कुंभ के लिए आदर्श मॉडल

स्वास्थ्य सचिव डॉ. कुमार ने जानकारी दी कि इस बार की व्यवस्था एक ऐसा मॉडल बन गई है, जिसे कुंभ 2027 में लागू कर और भी बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। मेला क्षेत्र में कुल 2.43 लाख श्रद्धालुओं को प्राथमिक और आपातकालीन सेवाएं दी गईं। खास बात यह रही कि पूरे आयोजन में न तो कोई बड़ा हादसा हुआ और न ही किसी संक्रामक रोग का प्रकोप फैला। यह इस बात का प्रमाण है कि सेवा और अनुशासन का संयोजन यदि समय रहते हो, तो बड़ी से बड़ी चुनौती को भी सहजता से नियंत्रित किया जा सकता है।

सुव्यवस्थित शिविर और तकनीकी नवाचार

कांवड़ मेले में 35 अस्थायी चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए, जिनमें से 25 शिविर स्वास्थ्य विभाग और 10 निजी संस्थानों द्वारा लगाए गए। इसके अलावा, भविष्य को ध्यान में रखते हुए 5 स्थानों पर कंटेनर आधारित स्थायी चिकित्सा केंद्र भी बनाए गए। ये भविष्य के धार्मिक आयोजनों में भी उपयोगी सिद्ध होंगे।

सभी चिकित्सा शिविरों को जियो टैग किया गया और वहां QR कोड तकनीक का प्रयोग किया गया, जिससे श्रद्धालु अपने नजदीकी शिविर की लोकेशन, प्रभारी का नाम और मोबाइल नंबर आसानी से जान सके। यह पहल पारदर्शिता और सुलभता का बेहतरीन उदाहरण रही।

आपातकालीन सेवाएं और मानव संसाधन

आपातकालीन सेवाओं के लिए 108 एम्बुलेंस सेवा के अतिरिक्त 36 विशेष वाहन तैनात किए गए। 45 डॉक्टर, 69 फार्मासिस्ट, 48 ईएनटी विशेषज्ञ, 58 स्टाफ नर्स, 58 एएनएम, 45 सीएचओ और 44 वाहन चालकों की विशेष तैनाती की गई। सभी पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया, जिससे किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

स्वच्छता और संक्रमण नियंत्रण

मेले के दौरान विशेष रूप से बर्न यूनिट, ईसीजी, स्नेक व डॉग बाइट यूनिट, व्हीलचेयर, ऑक्सीजन सिलेंडर, फोल्डेबल बेड, एक्सीडेंट व हृदय रोग संबंधी केंद्र भी बनाए गए। सभी शिविरों से बायोमेडिकल वेस्ट का सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित किया गया। परिणामस्वरूप पूरे आयोजन में किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं फैला और मेला क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित बना रहा।

नशा नहीं, भक्ति का संदेश

मेला क्षेत्र में व्यापक रूप से नशामुक्त यात्रा का संदेश प्रचारित किया गया। हर चिकित्सा शिविर, पोस्टर, वेबसाइट और मीडिया के माध्यम से यह सन्देश दिया गया कि भोलेनाथ की सच्ची भक्ति नशा त्यागने में है।

पौड़ी जनपद की उत्कृष्ट सेवा

पौड़ी जनपद के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने नीलकंठ श्रावण मेले में 39,000 से अधिक श्रद्धालुओं को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कीं। नीलकंठ यात्रा मार्ग पर 9 स्थानों पर मेडिकल रिलीफ पोस्ट बनाई गईं, जिनमें एमआरपी नीलकंठ, पुंडरासु, मौनी बाबा की गुफा, गरुड़ चट्टी जैसे स्थान शामिल थे। हर पोस्ट पर चिकित्सक, फार्मासिस्ट, नर्सिंग स्टाफ और सफाईकर्मियों की नियुक्ति की गई।

7 एम्बुलेंस (5 विभागीय + 2 108 सेवा), 2 मोबाइल टीमें, और ऑन साइट पोस्टमार्टम सुविधा लक्ष्मण झूला पर उपलब्ध रही। कुल 24 चिकित्सक, 20 फार्मेसी अधिकारी, 20 नर्सिंग अधिकारी, 10 कक्ष सेवक, 10 सफाई कर्मचारी, 7 एम्बुलेंस चालकों को तैनात किया गया।

श्रद्धालुओं को मिला बेहतर उपचार

मेले में श्रद्धालुओं को बुखार, उल्टी-दस्त, सांस फूलना, सामान्य व गंभीर चोटें, सर्पदंश, कुत्ते के काटने, पैरों के दर्द, छाले, त्वचा रोग, मिर्गी, उच्च रक्तचाप, शुगर जैसी समस्याओं का इलाज मौके पर मिला। PHC लक्ष्मण झूला में 24 घंटे कंट्रोल रूम संचालित किया गया, जिसकी निगरानी डॉ. एस.एम. शुक्ला ने की और डॉ. राजीव कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया।

समन्वय की मिसाल बनी स्वास्थ्य टीम

इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस के बीच अभूतपूर्व समन्वय देखने को मिला। स्वास्थ्य सचिव डॉ. कुमार ने कहा कि यह आयोजन आने वाले कुंभ 2027 जैसे वैश्विक धार्मिक आयोजनों के लिए एक मॉडल बनेगा। राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं न केवल सफल रहीं, बल्कि सेवा, नवाचार और अनुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण बनीं।=================================

निष्कर्षतः, कांवड़ मेला 2025 में उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने जो प्रबंधन, समर्पण और दूरदृष्टि दिखाई, उसने यह साबित कर दिया कि यदि इच्छाशक्ति हो तो लाखों की भीड़ को भी सुरक्षित, स्वस्थ और सम्मानपूर्वक सेवा दी जा सकती है। यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव रहा, बल्कि राज्य की कार्यकुशलता का जीवंत उदाहरण भी बन गया।

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