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“मानवता की मिसाल: पंजाब बाढ़ पीड़ितों की मदद को आगे आई जमीअत उलमा-ए-हिंद उत्तराखण्ड, 50 लाख की राहत सामग्री भेजने का लिया ऐतिहासिक फैसला, हरिद्वार की बैठक में बनी प्रदेश स्तरीय रणनीति”

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार। प्राकृतिक आपदाएँ जब भी देश के किसी हिस्से को प्रभावित करती हैं, तब समाज के विभिन्न संगठन और संस्थाएँ मानवता के आधार पर पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आते हैं। इसी क्रम में जमीअत उलमा-ए-हिंद उत्तराखंड ने पंजाब में आई भीषण बाढ़ से प्रभावित परिवारों की मदद के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। संस्था ने बाढ़ पीड़ितों तक 50 लाख रुपए की राहत सामग्री और आर्थिक सहयोग पहुँचाने की घोषणा की है। इस निर्णय के बाद बाढ़ प्रभावितों के लिए उम्मीद की नई किरण जगी है।

हरिद्वार में हुई अहम बैठक

गुरुवार को हरिद्वार जनपद के मदरसा दारुल उलूम आसादिया इक्कड़ में जमीअत की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अली क़ासमी ने की। इस मौके पर संगठन के कई जिम्मेदार पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। बैठक का मुख्य एजेंडा पंजाब के बाढ़ पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत पहुँचाना था।मौलाना शराफत अली क़ासमी ने बताया कि जमीअत ने जिला स्तर पर विशेष टीमें गठित की हैं। नैनीताल, देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों में “हल्के” बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से स्थानीय स्तर पर राहत सामग्री एकत्र की जाएगी। बाद में यह सारी सामग्री प्रदेश जमीअत के नेतृत्व में पंजाब भेजी जाएगी।

हमेशा पीड़ितों के साथ खड़ी रही है जमीअत

मौलाना शराफत अली क़ासमी ने कहा – “जमीअत उलमा-ए-हिंद हमेशा से देश के मजलूमों और आपदा पीड़ित इंसानों के साथ खड़ी रही है। जब-जब मुल्क में किसी हिस्से में तबाही आई, जमीअत ने बिना भेदभाव राहत पहुँचाई है। आज पंजाब में बाढ़ ने हजारों परिवारों को बेघर कर दिया है, पशुओं की मौत हो गई है, लोग भूखे-प्यासे हैं, दवाओं और जरूरी सामान की कमी है। ऐसे समय में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उनका सहारा बनें।”उन्होंने कहा कि जमीअत का यह प्रयास केवल राहत सामग्री पहुँचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पीड़ित परिवारों को मानसिक संबल देना और यह एहसास कराना है कि मुश्किल की घड़ी में पूरा देश उनके साथ खड़ा है।

किस प्रकार की सामग्री पहुँचेगी पंजाब

जमीअत ने राहत सामग्री एकत्रित करने का काम शुरू कर दिया है। इसमें मुख्य रूप से शामिल होंगे –

  • खाद्य सामग्री : आटा, चावल, दाल, तेल, नमक और अन्य आवश्यक अनाज
  • पीने का साफ पानी
  • दवाइयाँ और मेडिकल किट
  • कपड़े और कंबल
  • जरूरी घरेलू सामान

जमीअत ने स्पष्ट किया कि यह सामग्री जल्द से जल्द ट्रकों के माध्यम से पंजाब के बाढ़ प्रभावित जिलों तक पहुँचाई जाएगी।

समाज से सहयोग की अपील

बैठक के दौरान मौलाना शराफत अली क़ासमी ने सभी जिम्मेदारों, कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों से खास अपील की कि वे इस राहत मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि जो लोग आर्थिक सहयोग कर सकते हैं,

वे करें और जो खाद्य सामग्री या अन्य सामान के रूप में योगदान देना चाहें, वे भी आगे आएं। “यह केवल जमीअत की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने देशवासियों की मदद करें।”

बैठक में शामिल रहे जिम्मेदार

इस बैठक में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदार और पदाधिकारी मौजूद रहे। इनमें शामिल थे –

  • मौलाना अब्दुल वाहिद क़ासमी (जिला अध्यक्ष, हरिद्वार)
  • मौलाना अब्दुल मन्नान क़ासमी (जिला अध्यक्ष, देहरादून)
  • मुफ्ती ताजीम क़ासमी (सचिव दफ्तर जमीअत)
  • प्रदेश मुफ्ती तौफीक अहमद क़ासमी
  • मौलाना रिहान गनी
  • मौलाना रागिब मजाहिरी
  • मौलाना बुरहान
  • कारी आबिद (जिला महासचिव)
  • मास्टर अब्दुल सत्तार
  • नौशाद अहमद इक्कड़
  • मौलाना अब्दुल खालिक
  • प्रधान इक्कड़ मोहम्मद हारून
  • शाह नवाज इक्कड़

इन सभी ने सामूहिक रूप से राहत कार्य की रणनीति पर चर्चा की और पंजाब जाने वाली टीमों को निर्देश दिए।

पंजाब में बाढ़ की स्थिति भयावह

गौरतलब है कि पिछले दिनों पंजाब में भारी बारिश और नदियों में उफान आने से बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे। कई जिलों में गाँव के गाँव पानी में डूब गए। हजारों परिवारों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए, फसलें बर्बाद हो गईं और मवेशियों की मौत हो गई। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है, लेकिन तबाही इतनी बड़ी है कि सामाजिक संगठनों की मदद बेहद जरूरी है।

मानवता का संदेश

जमीअत उलमा-ए-हिंद का यह कदम मानवता की मिसाल पेश करता है। संगठन का मानना है कि इंसानियत का तकाजा है कि जब कोई आपदा आती है तो हर धर्म, जाति और वर्ग से ऊपर उठकर जरूरतमंद की मदद की जाए। यही सोच समाज में भाईचारे और एकता को मजबूत करती है।

निष्कर्ष

हरिद्वार में हुई जमीअत की बैठक यह साबित करती है कि सामाजिक संगठन यदि ठान लें तो बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना किया जा सकता है। पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए 50 लाख रुपए की राहत सामग्री भेजने का निर्णय निश्चित ही पीड़ित परिवारों को राहत देगा और उनके जीवन में नई उम्मीद जगाएगा। साथ ही यह संदेश भी देगा कि देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और भाईचारे की परंपरा आज भी कायम है।

 

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