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मोहर्रम में इंसानियत की सेवा: शाह सकलैन एकेडमी हरिद्वार ने लगाया शरबत का लंगर, इमाम हुसैन की याद में पेश की अकीदत

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार। मोहर्रम के पाक महीने में हज़रत इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हुए शाह सकलैन एकेडमी ऑफ़ इंडिया यूनिट हरिद्वार ने एक बार फिर मानवता की मिसाल पेश की। हर साल की तरह इस बार भी एकेडमी की ओर से शहर में जगह-जगह शरबत की सबीलें लगाई गईं। खासतौर पर नेशनल हाईवे-74 और गैंडीखाता बस अड्डे पर बड़ी तादाद में राहगीरों को शरबत पिलाया गया।यह कार्यक्रम जिला अध्यक्ष हाफिज जान मोहम्मद सकलैनी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ, जिसमें सैकड़ों अकीदतमंदों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लोगों ने बताया कि यह सबीलें सिर्फ प्यास बुझाने का जरिया नहीं, बल्कि इमाम हुसैन की अज़ीम कुर्बानी की याद में अकीदत का इज़हार हैं।हज़रत इमाम हुसैन, जो पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे थे, उन्होंने कर्बला के मैदान में दीने इस्लाम की हिफाजत के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। उनकी याद में दुनिया भर के मुसलमान मोहर्रम में फातेहा पढ़ते हैं, लंगर बांटते हैं, और सबीलें लगाते हैं।शाह सकलैन एकेडमी ऑफ़ इंडिया, जो हज़रत शाह मोहम्मद सकलैन मियां के फैज़ से चल रही संस्था है, सिर्फ धार्मिक कार्यों तक सीमित नहीं, बल्कि खिदमते-खल्क (जनसेवा) में भी दिन-रात सक्रिय है। एकेडमी देशभर के बड़े शहरों में मौजूद है और गरीब बच्चियों की शादी, ज़रूरतमंदों को राशन, कपड़े, और अन्य मदद पहुंचाने का कार्य कर रही है।

अकीदतमंदों का कहना है कि “हम कुछ नहीं, यह सब हमारे पीर-ओ-मुर्शिद का फैज़ है।” मोहर्रम के इस मौके पर एकेडमी के कार्यों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि मज़हब सिर्फ इबादत नहीं, इंसानियत की सेवा भी है।

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