(शहजाद अली हरिद्वार) रुड़की।उत्तराखंड में आज से लेखपालों का तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार शुरू हो गया है। यह आंदोलन सबसे पहले हरिद्वार से शुरू हुआ और धीरे-धीरे पूरे राज्य में फैल गया।
लेखपाल संघ ने ऐलान किया है—”संसाधन नहीं, तो काम नहीं।”
कामकाज ठप, जनता परेशान
प्रदेश के सभी जिलों में लेखपालों ने सरकारी कामकाज से दूरी बना ली है। खतौनी सत्यापन, सीमांकन, किसान पंजीकरण और रिपोर्टिंग जैसे ज़रूरी काम ठप हो गए हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और आम नागरिक खासे परेशान हैं।
लेखपालों की मुख्य मांगें
लेखपाल संघ ने सरकार के सामने अपनी मांगे स्पष्ट रखी हैं। इनमें फील्ड वर्क के लिए वाहन, तकनीकी उपकरण (जैसे टैबलेट और मोबाइल) और यात्रा भत्ता शामिल हैं। उनका कहना है कि बिना इन सुविधाओं के डिजिटल वर्किंग करना असंभव हो गया है।
सरकार को चेतावनी: 29 मई की डेडलाइन
संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 29 मई तक मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इससे पूरे प्रदेश का राजस्व तंत्र ठप हो सकता है, जिसका असर विकास कार्यों पर भी पड़ेगा।
क्या सरकार समय रहते जागेगी
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार लेखपालों की मांगों को गंभीरता से लेकर कोई त्वरित निर्णय लेगी? अगर नहीं, तो आने वाले दिनों में प्रदेश की राजस्व व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो सकती है। यह बगावत सरकारी तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
