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“आयुष्मान योजना में करोड़ों की लूट: रुड़की-हरिद्वार के निजी अस्पतालों ने ICU पैकेज के नाम पर रचा फर्जीवाड़ा, SHA की सख्ती से खुला गड़बड़ी का पूरा खेल”

(शहजाद अली हरिद्वार) (देहरादून/हरिद्वार)। उत्तराखंड में गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा देने के लिए चलाई जा रही ‘आयुष्मान भारत योजना’ का उद्देश्य हर भारतीय को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है।

यह योजना खासतौर से उन लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, जो महंगे अस्पतालों में इलाज नहीं करवा सकते थे। लेकिन हालिया घटनाक्रम ने इस योजना की साख पर गंभीर सवाल खड़ कर दिए हैं।

रुड़की और हरिद्वार के दो निजी अस्पतालों—क्वाड्रा हॉस्पिटल और मेट्रो हॉस्पिटल—ने इस जनकल्याणकारी योजना को महज एक कमाई का जरिया बना डाला।

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (SHA) की गहन जांच में सामने आया है कि इन अस्पतालों ने फर्जीवाड़े और दस्तावेजों की हेराफेरी के जरिए करोड़ों रुपये की वसूली की। SHA ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोनों की आयुष्मान योजना से संबद्धता सस्पेंड कर दी है और 5 दिन के भीतर स्पष्टीकरण नहीं देने पर स्थायी डीलिस्टिंग तथा जुर्माने की चेतावनी जारी की है।

क्वाड्रा हॉस्पिटल का बड़ा घोटाला: ICU में भर्ती का झूठा खेल

SHA की ऑडिट रिपोर्ट में रुड़की के क्वाड्रा हॉस्पिटल द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं की सच्चाई सामने आई। अस्पताल ने कुल 1800 मरीजों में से 1619 मरीजों को ICU में भर्ती बताया, जो कि लगभग 90% मामलों में गहन चिकित्सा इकाई का फर्जी उपयोग दर्शाता है। यह कोई संयोग नहीं बल्कि योजनाबद्ध धोखाधड़ी थी।

फर्जीवाड़े के तरीके:

  • अस्पताल ने मरीजों को दाखिल करते ही 3 से 6 दिन तक ICU में भर्ती दिखाया, भले ही उनकी हालत सामान्य थी।
  • डिस्चार्ज से पहले 1-2 दिन सामान्य वार्ड में ट्रांसफर कर यह दिखाने की कोशिश की गई कि मरीज की हालत सुधर रही है।
  • मरीजों की रिपोर्ट में जानबूझकर 102°F बुखार दिखाया गया, जबकि छुट्टी के समय यह 98°F तक ‘सुधर’ गया।
  • ICU की तस्वीरों में ना तो मॉनिटर ऑन थे, ना ही IV लाइन जुड़ी हुई—यह संकेत था कि मरीज ICU में थे ही नहीं।
  • एक जैसे मोबाइल नंबर और हस्तलिपि वाले मरीजों के नाम अलग-अलग दर्ज किए गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आंकड़े बनाए गए हैं।

यह सब एक सोच-समझकर रचा गया आर्थिक षड्यंत्र था, जिसका उद्देश्य सरकारी पैसों को हड़पना और इलाज के नाम पर भारी मुनाफा कमाना था।

मेट्रो हॉस्पिटल की भी फर्जी स्क्रिप्ट: सामान्य मरीजों को ICU में दिखाकर लाखों का वारा-न्यारा

हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल की जांच में भी कई गंभीर गड़बड़ियां उजागर हुईं। अस्पताल ने साधारण लक्षणों वाले मरीजों को भी ICU में भर्ती दिखाया और महंगे पैकेज का लाभ लिया।

SHA की जांच में सामने आईं खामियां:

  • मरीजों को 3 से 18 दिनों तक ICU में भर्ती दिखाया गया, जबकि उनकी हालत इसकी कतई मांग नहीं करती थी।
  • अस्पताल ICU चार्ट, फोटो और अनिवार्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा सका।
  • जो डॉक्यूमेंट्स दिए गए, वे धुंधले, अधूरे और अस्पष्ट थे—जो कि घोटाले को छिपाने का प्रयास प्रतीत होता है।
  • मरीजों के लक्षण बेहद सामान्य थे, लेकिन रिपोर्ट में उन्हें गंभीर दर्शाया गया।

ये सभी संकेत इस बात की पुष्टि करते हैं कि अस्पताल ने सुनियोजित तरीके से फर्जीवाड़ा कर आयुष्मान योजना के नाम पर भारी कमाई की।

SHA की सख्ती: अब नहीं चलेगा फर्जीवाड़ा

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने दोनों अस्पतालों को नोटिस जारी कर पांच दिनों में जवाब देने का आदेश दिया है। SHA ने स्पष्ट रूप से कहा है:

“यदि जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो इन अस्पतालों को आयुष्मान योजना से स्थायी रूप से डीलिस्ट कर दिया जाएगा और आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।”

इसके अलावा SHA ने यह भी साफ किया कि यह कार्रवाई केवल इन दो संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगी। पूरे राज्य में आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों की निगरानी और ऑडिट को और अधिक सख्त किया जाएगा।

जनता की उम्मीदों पर पानी, पर अब होगी जवाबदेही

आयुष्मान भारत योजना जैसे कल्याणकारी अभियान का उद्देश्य जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देना है। जब इस योजना का दुरुपयोग होता है, तो केवल पैसे की चोरी नहीं होती, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचती है।

इस घोटाले का असर:

  • गरीब और जरूरतमंद मरीजों को सही इलाज से वंचित किया गया।
  • सरकारी राजकोष को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
  • स्वास्थ्य व्यवस्था की पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल खड़े हुए।

लेकिन SHA की यह कड़ी कार्रवाई न सिर्फ एक मिसाल कायम करती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि अब व्यवस्था में जवाबदेही जरूरी है।

संदेश साफ है: सेवा की जगह व्यापार नहीं चलेगा

रुड़की और हरिद्वार के इन मामलों ने यह सिद्ध कर दिया कि जब तक सिस्टम की निगरानी नहीं होती, कुछ संस्थान योजनाओं को अपनी दुकान बना लेते हैं। पर अब SHA ने सख्त रवैया अपनाकर यह साफ कर दिया है कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा

यह जरूरी है कि ऐसी योजनाओं में पारदर्शिता बनी रहे, ताकि जरूरतमंदों को उनका हक मिल सके और समाज में विश्वास बना रहे। अस्पतालों को अब यह जवाब देना होगा कि उन्होंने जनता के साथ यह विश्वासघात क्यों किया और किनके इशारे पर किया।

निष्कर्ष: जनता की सेवा के नाम पर नहीं होने देंगे धोखाधड़ी

आयुष्मान भारत योजना की सार्थकता तभी बनी रह सकती है, जब इसमें पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही सुनिश्चित हो। SHA की यह कार्रवाई सिर्फ दो अस्पतालों के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को साफ करने की एक पहल है।

अब समय है कि सरकार, SHA और नागरिक समाज मिलकर ऐसे फर्जीवाड़ों को उजागर करें और योजना को उसके असल मकसद—गरीबों की सेवा—की ओर वापस लेकर जाएं।

फर्जीवाड़ा अब नहीं चलेगा। जनता अब जागरूक है और सरकार भी सतर्क।

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एसएसपी डोबाल की अपराध समीक्षा बैठक में लापरवाह थानेदारों पर गिरी गाज। लंबित विवेचनाओं के जल्द निस्तारण और अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश। ऑपरेशन कालनेमी, महिला शव शिनाख्त अभियान और उर्स मेले की सुरक्षा पर खास फोकस।