(शहजाद अली हरिद्वार) बहादराबाद। यह घटना केवल एक बच्चे की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के लिए एक करारा सवाल बनकर सामने आई है। हरिद्वार के गुडविल स्कूल, अतमलपुर बौंगला में 7वीं कक्षा के 13 वर्षीय अलमाज के साथ हुई मारपीट ने उस विश्वास को गहरा आघात पहुंचाया है, जिसके सहारे अभिभावक रोज अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं। 17 नवंबर 2025 को अलमाज सुबह हमेशा की तरह स्कूल गया, लेकिन दोपहर को वह घायल, डरा और टूटा हुआ घर लौटा। चेहरे और हाथों पर पड़ चुके गहरे निशान उसकी खामोश चीखों की गवाही दे रहे थे।
बच्चे ने रोते हुए बताया कि शौचालय जाने पर टीचर उज्जवल ने न केवल उसके बाल पकड़कर घसीटा, कर ज्यादा पीटा गया। एक मासूम पर इस तरह की क्रूरता न केवल अमानवीय है, बल्कि स्कूल प्रबंधन की सोच पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है। चोटों की गंभीरता को देखते हुए परिजनों ने तुरंत उसे सरकारी अस्पताल ले जाकर इलाज कराया, जहां मेडिकल रिपोर्ट तैयार की गई। यही रिपोर्ट अब पुलिस को सौंपी गई तहरीर का हिस्सा है।
परिवार की सबसे बड़ी चिंता अब यह है कि कहीं पुलिस कार्रवाई के बाद स्कूल प्रबंधन बच्चे को दोबारा प्रताड़ित न करे। अभिभावकों का डर जायज है, क्योंकि स्कूल ने इतनी बड़ी घटना को छुपाने की कोशिश की और परिवार को सूचना तक नहीं दी। यह लापरवाही नहीं, बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
अब जरूरत है कि प्रशासन तुरंत संज्ञान ले—आरोपी टीचर और मैनेजर पर कार्रवाई हो, स्कूल की CCTV जांच की जाए, और बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। अलमाज की पीड़ा सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि व्यवस्था को जगाने वाली पुकार है। एक मासूम को न्याय मिले, यही समाज की असली जिम्मेदारी है।




































