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आपदा मित्रों को राहत-बचाव कार्यों का प्रशिक्षण, सतर्कता से कम हो सकता है आपदा का प्रभाव

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार। आगामी मानसून, चारधाम यात्रा एवं कांवड़ यात्रा के दृष्टिगत किसी भी आपदा की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए हरिद्वार जनपद में त्वरित राहत एवं बचाव कार्यों हेतु आपदा मित्रों (ग्रामीण स्वयंसेवकों) को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशन में कलेक्ट्रेट स्थित आपदा प्रबंधन कार्यालय में पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत ने कहा कि हरिद्वार एक आपदा संवेदनशील जनपद है। मानसून के दौरान बाढ़, जलभराव, भूस्खलन और गंगा घाटों पर सुरक्षा संबंधी घटनाएं आम हैं। ऐसे में आपदा मित्रों को प्रभावी प्रशिक्षण देकर उन्हें आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों के लिए तैयार किया जा रहा है।

मीरा रावत ने स्वयंसेवकों से कहा कि उन्हें जो भी प्रशिक्षण और जानकारी दी जा रही है, उसे गंभीरता से समझें ताकि किसी आपदा की स्थिति में तत्परता से जान-माल की हानि को रोका जा सके। उन्होंने निर्देश दिया कि किसी भी आपदा की घटना की सूचना तत्काल आपदा कंट्रोल रूम को दी जाए, साथ ही घटना स्थल की सटीक जानकारी भी साझा की जाए।

इस अवसर पर एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर पंकज सिंह ने आपदा की विभिन्न परिस्थितियों जैसे भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, आगजनी एवं जल दुर्घटनाओं से निपटने की सावधानियों और त्वरित उपायों की जानकारी दी। डॉ. विपिन चंद (उप मुख्य चिकित्साधिकारी) ने प्राथमिक उपचार और चिकित्सा संबंधी आवश्यक सावधानियों पर जोर दिया।

प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में अग्निशमन अधिकारी द्वारा आगजनी की घटनाओं से निपटने की तकनीकों से अवगत कराया गया। वहीं, पुलिस उपाध्यक्ष शिशुपाल सिंह नेगी ने वाटर रेस्क्यू एवं समन्वयात्मक कार्य प्रणाली पर चर्चा की।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में हरिद्वार, लक्सर और रुड़की से आए आपदा मित्रों के साथ-साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने भी भाग लिया।

 

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