(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार, 31 अगस्त 2025।आज हरिद्वार के सेक्टर-4 बीएचईएल परिसर एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण का गवाह बना।
अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा हरिद्वार एवं श्री यादव समिति रानीपुर हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में रेजांगला रज कलश यात्रा का भव्य स्वागत किया गया।
यह यात्रा पूरे भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से गुजरते हुए आज धर्मनगरी हरिद्वार पहुँची। कार्यक्रम में हरिद्वार जनपद सहित आस-पास के क्षेत्रों से सैकड़ों यादव समाज के लोग उपस्थित रहे और अपने वीर सपूतों की शहादत को नमन किया।
1962 के युद्ध की अमर गाथा
यह रज कलश यात्रा 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांगला की उस ऐतिहासिक लड़ाई की स्मृति में निकाली गई है, जहाँ 120 यादव रणबांकुरे सैनिकों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
यह लड़ाई भारतीय सैन्य इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। बर्फ से ढके लद्दाख के दुर्गम क्षेत्र रेजांगला में विषम परिस्थितियों के बावजूद इन वीर जवानों ने हार नहीं मानी और अंतिम सांस तक दुश्मन से लोहा लिया। इस बलिदान ने पूरे विश्व को भारत के सैनिकों की अदम्य शौर्यगाथा से परिचित कराया।
यादव समाज के इन वीर सपूतों की शहादत आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत है। यही कारण है कि यह कलश यात्रा देशभर के अलग-अलग राज्यों और शहरों से गुजरते हुए उन वीरों की याद दिलाती है और समाज को एकजुट होने का संदेश देती है।
कार्यक्रम का आयोजन और श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सैकड़ों यादव समाज के लोगों ने 1962 में शहीद हुए रणबांकुरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीदों की स्मृति में दीप प्रज्ज्वलित किया गया और उनके साहस व बलिदान का स्मरण करते हुए मौन रखा गया। पूरे वातावरण में देशभक्ति और शौर्य का माहौल व्याप्त था।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि रेजांगला की लड़ाई केवल यादव समाज का गर्व नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष का गौरव है। यादव समाज के वीर जवानों ने यह साबित कर दिया कि देश पर संकट आने पर वे सदैव अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर मातृभूमि की रक्षा करते हैं।
यादव समिति का आह्वान
श्री यादव समिति रानीपुर हरिद्वार के अध्यक्ष घनश्याम यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा –
“देश के इतिहास में जब-जब युद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई, यादव समाज के वीर सपूतों ने अपना अतुलनीय साहस और बलिदान देकर भारत माता की रक्षा की है। 1962 की रेजांगला लड़ाई इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। आज संपूर्ण यादव समाज इस महान बलिदान को नमन करता है और सरकार से अहीर रेजिमेंट की मांग करता है।”
उन्होंने कहा कि यह मांग केवल यादव समाज की नहीं, बल्कि उन सभी भारतीयों की है जो वीरता और बलिदान को पहचानते और उसका सम्मान करते हैं।
अहीर रेजिमेंट की मांग हुई बुलंद
इस अवसर पर अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के महासचिव दिनेश यादव, सचिव प्रवीण यादव और उत्तराखंड के संयोजक कामेश्वर यादव ने भी अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा कि अहीर समाज का सैन्य इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। चाहे वह महाभारत काल का युद्ध हो, आज़ादी की लड़ाई हो या फिर आधुनिक भारत के युद्ध – यादव समाज के वीरों ने हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर शौर्य दिखाया है।
उन्होंने कहा कि 1962 में शहीद हुए रेजांगला के 120 रणबांकुरों की याद आज भी हर यादव समाज के दिल में जिंदा है। उनकी शहादत को उचित सम्मान देने का सबसे बड़ा तरीका यही है कि भारत सरकार तुरंत अहीर रेजिमेंट के गठन की घोषणा करे। यह केवल समाज की मांग नहीं, बल्कि शहीदों के सम्मान का प्रश्न है।
सैकड़ों यादव साथियों की भागीदारी
कार्यक्रम में यादव समाज की बड़ी संख्या में मौजूदगी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। हरिद्वार जनपद और आसपास के क्षेत्रों से आए सैकड़ों यादव साथियों ने रैली और स्वागत समारोह में भाग लिया। उपस्थित लोगों में आशाराम यादव, हरि यादव, घनश्याम यादव, गुलाब यादव, अनिल यादव, सुघर यादव, कृष्ण कुमार यादव, बी.एल. यादव, विजय यादव, प्रमोद यादव, इंद्रजीत यादव, हरिद्वारी यादव, संतोष यादव, आशीष यादव, चंद्रशेखर यादव, डॉक्टर प्रवीण यादव, डॉक्टर राज कुमार यादव, मनीष यादव समेत अनेक गणमान्य लोग शामिल रहे।
सभी वक्ताओं ने यह दोहराया कि यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि का कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज को एकजुट करने और सरकार तक अपनी आवाज बुलंद करने का माध्यम है।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा
इस कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह था कि नई पीढ़ी को अपने इतिहास और शहीदों की गाथाओं से अवगत कराया जाए। कई युवाओं ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और वीर सपूतों की शहादत को प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि रेजांगला के शहीदों का बलिदान यह सिखाता है कि राष्ट्रहित से बढ़कर कोई चीज़ नहीं होती।
हरिद्वार से उठी एकजुटता की आवाज़
हरिद्वार में आयोजित यह कार्यक्रम केवल स्थानीय स्तर का आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह पूरे भारत के यादव समाज को जोड़ने वाला सेतु बना। रज कलश यात्रा का स्वागत करते हुए हरिद्वार की धरती ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि जब बात देश की एकता, अखंडता और शहीदों के सम्मान की हो, तो पूरा समाज एकजुट होकर खड़ा होता है।
निष्कर्ष
रेजांगला रज कलश यात्रा का हरिद्वार आगमन इतिहास और वर्तमान को जोड़ने वाला पल था। यह आयोजन उन वीर सपूतों की स्मृति को ताज़ा करने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश भी देता है कि शौर्य और बलिदान भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
यादव समाज की यह यात्रा केवल श्रद्धांजलि का प्रतीक नहीं, बल्कि अहीर रेजिमेंट की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर बुलंद करने का भी माध्यम है। जब तक इस मांग को पूरा नहीं किया जाता, तब तक यह आवाज़ और बुलंद होती जाएगी।
आज हरिद्वार की धरती से निकली यह प्रतिज्ञा न केवल यादव समाज बल्कि पूरे भारत को यह स्मरण कराती है कि शहीदों का सम्मान ही सच्चा राष्ट्रीय धर्म है




































