(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार। वरिष्ठ औषधि निरीक्षक श्रीमती अनीता भारती की सतर्कता और नेतृत्व में औषधि विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए लूसेंट बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड (Lucent Biotech Pvt. Ltd.) के खिलाफ छापेमारी कर नशीली दवा ट्रामाडोल की भारी मात्रा में खेप को जब्त किया। यह कार्रवाई नशीली दवाओं की अवैध आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
कार्रवाई के दौरान लगभग 325 किलोग्राम ट्रामाडोल, जो करीब 3.25 लाख टैबलेट्स के बराबर है, को जब्त किया गया। यह खेप पंजाब में पहले जब्त की गई 70,000 टैबलेट्स की आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी थी।
उल्लेखनीय है कि जब्त की गई API (सक्रिय औषधीय घटक) के जरिए यह दवाएं निर्माण के लिए तैयार की जा रही थीं, लेकिन समय रहते कार्रवाई कर इन्हें बाजार में पहुंचने से पहले ही रोक लिया गया।
श्रीमती अनीता भारती के नेतृत्व में हरिद्वार में लूसेंट बायोटेक के परिसर में की गई छापेमारी में दवाओं के निर्माण, खरीद और आपूर्ति से संबंधित दस्तावेज, इनवॉइस और एग्रीमेंट्स की गहन जांच की गई।
जांच में कई गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं। प्लांट हेड हरीकिशोर दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहे और Good Manufacturing Practices (GMP) के उल्लंघन की पुष्टि होने पर उन्हें मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया।
प्लांट हेड हरीकिशोर की पूछताछ में खुलासा हुआ कि ट्रामाडोल की यह खेप मेरठ स्थित एक अस्तित्वहीन कंपनी ‘कॉन्नेन्ड्रम फार्मास्युटिकल्स’ के नाम पर तैयार की जा रही थी। साथ ही लूसेंट बायोटेक द्वारा पूर्व में रूड़की स्थित रिकॉल लाइफसाइंसेज़ नामक फर्म के साथ किया गया एग्रीमेंट भी पेश किया गया, जिसके माध्यम से पंजाब में दवाओं की वैध आपूर्ति दिखाई जा रही थी। इस फर्म का मालिक आर्यन पंत बताया गया है जो इस समय फरार है।
हरीकिशोर ने बताया कि नशीली दवा की इस खेप का ऑर्डर आर्यन पंत और विक्रम सैनी ने मिलकर दिया था। आर्यन पंत का मोबाइल बंद पाया गया जबकि विक्रम सैनी को पूछताछ के लिए बुलाया गया है और उससे पूछताछ जारी है। दोषी पाए जाने पर उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
लूसेंट बायोटेक के खिलाफ NDPS अधिनियम की धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। साथ ही कंपनी को नशीली दवाओं का उत्पादन तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गए हैं और सभी पूर्व स्वीकृत लाइसेंसों को निरस्त करने की संस्तुति की गई है।
यह संयुक्त छापेमारी उत्तराखंड ड्रग्स विभाग, पंजाब पुलिस और ड्रग्स कंट्रोल विभाग, पंजाब के अधिकारियों द्वारा की गई, जिसमें हरिद्वार की औषधि निरीक्षक सुश्री मेघा भी प्रमुख रूप से सम्मिलित रहीं।
इस कार्रवाई ने न केवल एक बड़े नशीली दवा नेटवर्क को ध्वस्त किया है, बल्कि यह साबित किया है कि यदि अधिकारीगण सजग, सक्रिय और कर्तव्यनिष्ठ हों तो किसी भी संगठित अपराध को समय रहते रोका जा सकता है। श्रीमती अनीता भारती की यह कार्यशैली भविष्य में ऐसी अवैध गतिविधियों के विरुद्ध प्रभावी नियंत्रण का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है।
