(शहजाद अली हरिद्वार) हरिद्वार।श्रावण मास के पवित्र अवसर पर आयोजित होने वाला कांवड़ मेला हर वर्ष उत्तर भारत में धार्मिक आस्था, श्रद्धा और सामाजिक सहभागिता का भव्य स्वरूप बनकर सामने आता है। इस वर्ष 11 जुलाई से 23 जुलाई 2025 तक आयोजित कांवड़ मेला में अनुमानित 20 लाख से अधिक कांवड़ियों का रेलवे के माध्यम से आवागमन हुआ, जिसे बिना किसी बड़ी दुर्घटना के सुरक्षित, व्यवस्थित और सफलतापूर्वक संपन्न कराना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं।
इस अद्वितीय सफलता का श्रेय जाता है एसपी जीआरपी तृप्ति भट्ट के कुशल, एनर्जेटिक और दूरदर्शी नेतृत्व को, जिनकी निगरानी में जीआरपी (Government Railway Police) ने 24×7 अलर्ट मोड में रहकर न केवल अपने कर्तव्यों का निष्ठा से निर्वहन किया,
बल्कि अन्य सहयोगी विभागों जैसे रेलवे विभाग, आरपीएफ, आईआरबी, बीडीएस और एटीएस के साथ उच्च स्तरीय समन्वय स्थापित कर मेला क्षेत्र को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया।
🔶 प्रबंधन की रणनीति और प्रभावी विभाजन
कांवड़ मेला जैसे विशाल आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए जीआरपी द्वारा पूरे क्षेत्र को 02 सुपर जोन, 03 जोन और 06 सेक्टरों में विभाजित किया गया। इस व्यवस्था ने प्रत्येक क्षेत्र में निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली को प्रभावी बनाया, जिससे किसी भी असामान्य स्थिति में तत्काल कार्रवाई संभव हो सकी।
🔶 मानवता और सेवा की भावना
रेलवे स्टेशनों पर जीआरपी ने महज कानून व्यवस्था तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि सेवा भाव के साथ अनेक मानवीय कार्य भी किए। इसमें शामिल हैं:
- ₹5 लाख मूल्य के 36 मोबाइल फोन खो जाने के बाद ढूंढकर श्रद्धालुओं को वापस लौटाए गए।
- 70 से अधिक खोए हुए महिला, पुरुष और बच्चों को तलाश कर उनके परिजनों से मिलवाया गया। इस कार्य ने जहां परिजनों के चेहरों पर मुस्कान लौटाई, वहीं पुलिस और जनता के बीच विश्वास को भी गहरा किया।
- 270 बैग, पर्स और अन्य सामान भारी भीड़ के बावजूद जीआरपी द्वारा खोजकर यात्रियों को सौंपे गए।
- 100 से अधिक बुजुर्ग, दिव्यांग और बीमार व्यक्तियों को प्लेटफॉर्म, ट्रेन कोच या अस्पताल तक पहुँचाने में सहायता की गई।
- 108 एंबुलेंस सेवा के माध्यम से तुरंत बीमार श्रद्धालुओं को नजदीकी अस्पताल भेजा गया।
🔶 संवेदनशीलता और सतर्कता का अनुपम उदाहरण
मेले के दौरान कई बार ऐसा भी देखा गया कि हजारों की संख्या में पैदल कांवड़िए रेलवे ट्रैक पर चलकर अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे। ऐसे में जीआरपी द्वारा तत्परता दिखाते हुए इन्हें सही और सुरक्षित मार्गों से रवाना किया गया, जिससे संभावित बड़े हादसों को टाला जा सका।
साथ ही, कांवड़ियों के वाहनों द्वारा रेलवे फाटकों को नुकसान पहुंचाया गया, जिसे जीआरपी ने त्वरित मरम्मत कराकर ट्रैफिक को व्यवस्थित किया और किसी भी बड़ी अनहोनी से क्षेत्र को बचाया।
🔶 असामाजिक तत्वों पर सख्ती
कांवड़ मेला जैसे भीड़भाड़ वाले आयोजन में असामाजिक तत्वों की सक्रियता एक बड़ी चुनौती होती है। इस बार भी जीआरपी ने सतर्कता बरतते हुए 40 से अधिक असामाजिक और आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों को रेलवे स्टेशन परिसरों से गिरफ्तार किया। यह कार्यवाही मेले की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में अत्यंत प्रभावी रही।
🔶 संपर्क और सूचना का तंत्र
भीड़ को नियंत्रित करने और उन्हें समय-समय पर आवश्यक जानकारी देने हेतु 24×7 पीए (Public Announcement) सिस्टम को सक्रिय रखा गया।रेलवे स्टेशनों पर निरंतर घोषणाओं के माध्यम से यात्रियों को मार्गदर्शन प्रदान किया गया, जिससे भीड़ में अफरातफरी की स्थिति से बचा जा सका।
🔶 सुरक्षा, सेवा और समर्पण की मिसाल
इस संपूर्ण आयोजन में जीआरपी और सहयोगी बलों की टीम वर्क ने जो कार्य किया, वह न केवल प्रशासनिक रूप से प्रशंसनीय है, बल्कि समाज और जनकल्याण की दृष्टि से भी प्रेरणादायक है। एसपी जीआरपी तृप्ति भट्ट के नेतृत्व में न केवल व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रही, बल्कि सुरक्षा व सेवा का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसकी सराहना आम जनता से लेकर प्रशासनिक स्तर तक की गई।
🔶 एसपी तृप्ति भट्ट की सराहना
मेले के समापन पर एसपी जीआरपी तृप्ति भट्ट ने कहा—
“बिना किसी दुर्घटना के 20 लाख से अधिक कांवड़ियों को सीमित क्षेत्र से पुलिस बल द्वारा सकुशल गंतव्यों तक भेजना बड़ी उपलब्धि है। पूरी टीम बधाई की पात्र है।”उनका यह वक्तव्य टीम के हर सदस्य के मनोबल को ऊँचा करता है और यह प्रमाणित करता है कि समर्पण, समन्वय और सेवा भाव से कोई भी बड़ा कार्य सुरक्षित और सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है।
🔶 निष्कर्ष
कांवड़ मेला 2025, खासकर रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत संपन्न हुआ यह आयोजन, जीआरपी के अथक प्रयासों, चुस्त प्रबंधन और मानवीय दृष्टिकोण का उत्कृष्ट उदाहरण है।
एसपी तृप्ति भट्ट और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया कि जब नेतृत्व स्पष्ट हो, दृष्टिकोण संवेदनशील हो और टीम में समर्पण हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती।
यह मेला न केवल आस्था और श्रद्धा का प्रतीक रहा, बल्कि रेलवे सुरक्षा और सेवा प्रणाली की एक प्रेरणादायक केस स्टडी बन गया है, जिसे आने वाले वर्षों में भी उदाहरणस्वरूप याद किया जाएगा।
