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“कांवड़ मेला 2025: हरिद्वार में इंटरस्टेट बैठक सम्पन्न, सुरक्षा, समन्वय और व्यवस्था को लेकर पांच राज्यों के अधिकारियों ने बनाई साझा रणनीति”

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार – आगामी कांवड़ मेला 2025 को लेकर हरिद्वार के मेला कंट्रोल भवन में एक महत्वपूर्ण अंतरराज्यीय (इंटरस्टेट) बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन, उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक (DGP) दीपम सेठ सहित उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब राज्यों के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी कांवड़ मेले को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से सम्पन्न कराना रहा।

मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए बताया कि यह बैठक पांच राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिहाज से बेहद जरूरी थी। उन्होंने कहा कि कांवड़ मेला हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, इसलिए इससे जुड़े सभी राज्यों का एकजुट होकर काम करना आवश्यक है। बैठक में सुरक्षा, यातायात नियंत्रण, मेडिकल व्यवस्था, रूट डायवर्जन, कांवड़ियों के पंजीकरण और अवांछनीय गतिविधियों की रोकथाम जैसे अहम विषयों पर गंभीरता से चर्चा की गई।

मुख्य सचिव ने बताया कि इस बार कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ विशेष हिदायतें दी जाएंगी। कांवड़ यात्रियों से अपील की गई है कि वे यात्रा के दौरान अपने साथ हॉकी स्टिक, बेसबॉल बैट, तलवार, बड़े डीजे साउंड सिस्टम या बहुत बड़ी कांवड़ें न लेकर चलें, क्योंकि इससे यात्रियों को खुद भी परेशानी होती है और यातायात में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि इस बार विशेष तौर पर बड़े डीजे सिस्टम के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी।डीजीपी दीपम सेठ ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि हाल ही में पहलगांव में हुए आतंकी हमले के बाद से सभी सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। कांवड़ मेले की सुरक्षा के लिए बहुस्तरीय इंतजाम किए जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां चौकसी बरतेंगी और संवेदनशील स्थानों पर निगरानी बढ़ाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इस बार की योजना में माइक्रो लेवल प्लानिंग की जा रही है, जिसमें रूट डायवर्जन की तिथियों, स्थानों और वाहनों के होल्डिंग क्षेत्रों की पहचान कर ली गई है।डीजीपी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत करने वाले श्रद्धालुओं को अपने मूल स्थानों से ही पंजीकरण कराना होगा। संबंधित जिलों की पुलिस एवं प्रशासन उन्हें यात्रा से पहले जरूरी दिशा-निर्देश भी उपलब्ध कराएंगे। यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि जरूरत पड़ने पर किसी भी कांवड़ यात्री की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सके और सुरक्षा को बेहतर बनाया जा सके।बैठक में यह भी तय हुआ कि मेले के दौरान दुकानों और अस्थायी स्टॉल्स की पहचान के लिए, पिछली बार की तरह इस बार भी दुकानदारों के नाम और पहचान पत्रों को दुकान के बाहर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य रहेगा। इससे सुरक्षा एजेंसियों को संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने में सुविधा होगी।बैठक में यातायात प्रबंधन पर भी विशेष जोर दिया गया। विभिन्न राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने यातायात व्यवस्था, वैकल्पिक मार्ग और विशेष वाहनों के मूवमेंट के समय तय किए जाने की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की। यह निर्णय लिया गया कि मेले के दौरान भारी वाहनों को प्रतिबंधित किया जाएगा और कुछ मार्गों को विशेष रूप से कांवड़ यात्रियों के लिए आरक्षित किया जाएगा।उत्तराखंड सरकार द्वारा आयोजित इस बैठक में पांचों राज्यों के प्रतिनिधियों ने एकमत से यह स्वीकार किया कि कांवड़ मेला सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि संवेदनशील सुरक्षा चुनौती भी है, जिसे सामूहिक प्रयासों से ही सफलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है।इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड शासन ने सभी मेला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मेलास्थल पर स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाओं और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करें। सभी चिकित्सा केंद्रों को आपातकालीन सेवा के लिए 24 घंटे खुला रखने के निर्देश दिए गए हैं।

निष्कर्षत:
कांवड़ मेला 2025 को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड सहित पांच राज्यों के अधिकारी पहले ही चरण से गंभीरता के साथ जुट गए हैं। सुरक्षा, समन्वय, यातायात, चिकित्सा और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर जो रूपरेखा तैयार की गई है,

उससे स्पष्ट है कि इस बार की कांवड़ यात्रा ज्यादा सुरक्षित, सुव्यवस्थित और अनुशासित होगी। सरकार और प्रशासन ने श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील करते हुए साफ संदेश दिया है कि यात्रा में श्रद्धा के साथ-साथ अनुशासन भी जरूरी है।

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