(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार, 22 जुलाई 2025।श्रद्धा, आस्था और समर्पण के प्रतीक कांवड़ यात्रा में इस बार कोर यूनिवर्सिटी और कोर हॉस्पिटल ने मानव सेवा की एक अनुकरणीय मिसाल कायम की है। सावन माह में लाखों शिवभक्तों की आस्था को सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक बनाए रखने के उद्देश्य से हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर एक विशाल और अत्याधुनिक चिकित्सा शिविर स्थापित किया गया, जिसमें अब तक 12,000 से अधिक कांवड़ यात्रियों को निःशुल्क उपचार प्रदान किया गया है।
यह शिविर केवल एक औपचारिक व्यवस्था नहीं, बल्कि गहन सेवा भावना, समर्पण और मानवीय संवेदना का जीवंत प्रतीक बन गया।
24×7 चिकित्सा सेवा – हर पल तत्पर सेवा भाव
कोर यूनिवर्सिटी और कोर हॉस्पिटल द्वारा स्थापित यह सेवा शिविर भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों के निकट स्थापित किया गया, जहां पर दिन-रात हजारों श्रद्धालु गुजरते हैं। डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों और प्रशिक्षित पैरा मेडिकल स्टाफ की एक समर्पित टीम ने चौबीसों घंटे सेवा में जुटे रहकर यात्रियों को राहत दी।यह शिविर न केवल प्राथमिक उपचार सुविधाओं से लैस था, बल्कि इसमें हाई-फ्लो सलाइन सिस्टम, ऑक्सीजन सपोर्ट, स्ट्रेचर की सुविधा और त्वरित रेफरल सिस्टम जैसी आपातकालीन व्यवस्थाएं भी मौजूद थीं। थकावट, डीहाइड्रेशन, ब्लिस्टर, बुखार, गैस्ट्रिक समस्या, मांसपेशियों में खिंचाव जैसी आम परेशानियों के लिए विशेष ट्रीटमेंट जोन बनाए गए थे।
सेवा में समर्पित डॉक्टर और मेडिकल टीम
शिविर में डॉ. बी.एस. राजपूत, डॉ. अविनं, डॉ. राहुल, डॉ. किर्ति, डॉ. आरज़ू, डॉ. अनामिका, डॉ. तेजवंत, डॉ. वरुण, डॉ. अंकुर समेत अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने दिन-रात सेवाएं दीं। उनके साथ जशराज, शारिका, शालू, स्वाति, आंचल, पूजा, दीपिका, मानसी, जैनब, शाहरुख, केपी जी, प्रदीप पुंडीर, कपिल, आबिद जैसे दर्जनों सहयोगी भी यात्रियों की सहायता में जुटे रहे।
वरिष्ठ चिकित्सक और सामाजिक सलाहकार डॉ. बिजेंद्र सिंह राजपूत ने कहा, “कांवड़ यात्रा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था का विराट स्वरूप है। यहां सेवा देना केवल पेशे का नहीं, आत्मा का भी कार्य है। कोर यूनिवर्सिटी और हॉस्पिटल की टीम ने संपूर्ण श्रद्धा और निष्ठा के साथ इस सेवा को निभाया है।”
महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए विशेष प्रबंध
शिविर में महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष ध्यान दिया गया। उनके लिए अलग हेल्प डेस्क, रेस्टिंग जोन और चिकित्सा काउंसलिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। साथ ही शिवभक्तों को स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता भी दी गई — जैसे पानी का सही मात्रा में सेवन, शरीर को रेस्ट देना, अधिक गर्मी में कैसे लू से बचाव करें, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज आदि।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया — “सेवा का अनुभव जैसे परिवार का साथ”
सेवा शिविर में उपचार प्राप्त करने वाले यात्रियों की प्रतिक्रियाएं इस कार्य की सफलता का प्रमाण रहीं। राजस्थान से आए श्रद्धालु सुरेश मीणा ने बताया, “पैरों में छाले और बुखार की वजह से मैं चलने में असमर्थ था। डॉक्टरों ने दवा दी और कुछ घंटे रेस्ट के बाद मैं फिर से आगे बढ़ पाया।”उत्तराखंड से आए जोगेंद्र रावत ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि यात्रा में ऐसा चिकित्सा शिविर मिलेगा, जहाँ स्टाफ परिवार जैसा व्यवहार करे। कोर यूनिवर्सिटी का यह सेवा भाव जीवन भर याद रहेगा।”
प्रशासन और समाज से मिली सराहना
हरिद्वार जिला प्रशासन ने कोर यूनिवर्सिटी के इस सेवा कार्य की सराहना की और निजी संस्थानों से भी अपील की कि वे जनकल्याण के ऐसे कार्यों में भागीदार बनें। हरिद्वार एसडीएम द्वारा शिविर का निरीक्षण कर टीम को सम्मानित भी किया गया।
स्थानीय नागरिकों ने भी इस शिविर को एक सकारात्मक सामाजिक प्रयास बताया, जिसने न केवल शिवभक्तों की मदद की बल्कि हरिद्वार की धार्मिक और सामाजिक संस्कृति में नई ऊर्जा भर दी।
निष्कर्ष: सेवा से भरी भक्ति की यात्रा
सावन की यह पावन यात्रा केवल आस्था का नहीं, बल्कि सेवा और संवेदना का भी पर्व बन गई है। कोर यूनिवर्सिटी और कोर हॉस्पिटल ने यह दिखा दिया कि जब संस्थाएं सामाजिक जिम्मेदारी को आत्मसात करती हैं, तब एक नई प्रेरणा जन्म लेती है।
यह सेवा शिविर आने वाले वर्षों के लिए न केवल एक उदाहरण बनेगा, बल्कि यह दर्शाएगा कि आध्यात्मिक आयोजनों की सफलता केवल व्यवस्थाओं से नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और संवेदनशीलता से होती है।
हरिद्वार में सेवा की इस लौ कोर यूनिवर्सिटी ने जलाए रखी है — जहां भक्ति के साथ सेवा भी बहेगी।
