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“मंच पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने की अपील, माइक पर सीएम की हामी — सलेमपुर को अहिल्याबाई नगर बनाने की घोषणा से गांव में फूटा विरोध”

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार, 15 जून 2025।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हरिद्वार के सलेमपुर महदुद गांव का नाम बदलने की मंचीय घोषणा अब राजनीतिक भूचाल बन चुकी है। गांव का नाम ‘अहिल्याबाई होल्कर नगर’ रखने की यह घोषणा धनगर महासभा सम्मेलन के दौरान की गई थी। लेकिन अब यह फैसला सामाजिक असहमति, प्रशासनिक असमंजस और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की चपेट में है।

कांग्रेस नेता की मांग, मुख्यमंत्री की घोषणा

मामले की शुरुआत उस समय हुई जब हरिद्वार में आयोजित धनगर महासभा सम्मेलन के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तेलूराम धनगर ने मुख्यमंत्री धामी के सामने एक भावनात्मक अपील की। उन्होंने मांग की कि सलेमपुर महदुद गांव का नाम बदलकर ‘अहिल्याबाई होल्कर नगर’ रखा जाए। तेलूराम ने इस प्रस्ताव को धनगर समाज की पहचान और नारी सम्मान से जोड़ते हुए जनभावनाओं से संबंधित बताया।

मुख्यमंत्री धामी ने मंच से ही सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “राज्य सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी। प्रस्ताव आने पर कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, मंचीय बयान ने गांव में अप्रत्याशित प्रतिक्रियाएं पैदा कर दीं।

गांव में तेज विरोध, लोग बोले – “हमसे पूछा तक नहीं

धामी की इस घोषणा के बाद सलेमपुर महदुद गांव में विरोध की लहर फैल गई। गांव के कई निवासी इस फैसले से असहमत दिखे। उनका कहना है कि यह निर्णय बिना किसी पूर्व जनसंवाद या ग्राम सभा की सहमति के लिया गया।एक स्थानीय बुजुर्ग ने कहा, “हमारी परंपरा, इतिहास और पहचान को दरकिनार कर सिर्फ एक समाज को खुश करने के लिए गांव का नाम बदलने की बात की जा रही है।”
विरोध कर रहे लोगों में मुस्लिम, ठाकुर और ओबीसी समुदाय के लोग शामिल हैं, जिन्होंने इसे “राजनीतिक तुष्टिकरण” करार दिया।

कांग्रेस को मिला श्रेय, भाजपा में भी उठे सवाल

मजेदार बात यह रही कि नाम बदलने की मांग कांग्रेस नेता ने की, लेकिन मंच से घोषणा भाजपा के मुख्यमंत्री ने की। अब कांग्रेस इसे अपनी जनभावना की जीत बता रही है, जबकि भाजपा के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने ही इस पर असहमति जताई है।भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ऐसे संवेदनशील विषयों पर पहले जनमत लेना चाहिए था। जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला हमारे ही वोटबैंक को नाराज़ कर सकता है।”

प्रशासन की स्थिति – “न प्रस्ताव, न आदेश

नाम परिवर्तन कोई साधारण प्रक्रिया नहीं होती। इसके लिए ग्राम सभा की स्वीकृति, राजस्व विभाग की रिपोर्ट, राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी और अंत में गृह मंत्रालय की सहमति आवश्यक होती है।

हरिद्वार जिला प्रशासन ने साफ कहा है कि
“अब तक इस संबंध में न कोई फाइल चली है, न शासन स्तर से कोई निर्देश प्राप्त हुआ है।”
यानी फिलहाल यह केवल मंचीय घोषणा है, सरकारी प्रक्रिया की शुरुआत तक नहीं हुई है।

समाज में बंटवारा – एक पक्ष उत्साहित, बाकी नाराज़

धनगर महासभा के लोग इस घोषणा से खुश हैं। महासभा के एक पदाधिकारी ने कहा, “मुख्यमंत्री ने हमारी वर्षों पुरानी मांग को मान्यता दी है। यह समाज के लिए गर्व की बात है।”

लेकिन गांव के अन्य समुदायों ने इसे एकतरफा निर्णय बताया है। एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “नाम बदलने से पहले पंचायत, ग्राम सभा और सभी समाजों से राय ली जानी चाहिए थी। यह गांव की एकता को नुकसान पहुंचा रहा है।”

लोगों के सवाल – क्या नाम बदलने से गांव की तस्वीर बदलेगी?

गांव के युवाओं और जागरूक नागरिकों में भी इस विषय को लेकर गहरी बहस चल रही है। उनका कहना है कि आज भी गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है — सड़कें टूटी हुई हैं, बिजली-पानी की स्थिति खराब है, और बेरोजगारी बढ़ रही है।

एक स्थानीय छात्र ने कहा, “सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम करने की बजाय नाम बदलने को प्राथमिकता देना सिर्फ राजनीतिक स्टंट है। इससे गांव की असल स्थिति नहीं बदलेगी।”

निष्कर्ष: सियासी घोषणा या चुनावी दांव?

सलेमपुर महदुद के नाम को बदलकर ‘अहिल्याबाई होल्कर नगर’ बनाने की यह घोषणा अभी तक सिर्फ एक राजनीतिक बयान साबित हुई है। जब तक इस पर औपचारिक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं होती, तब तक इसे केवल ‘मंचीय राजनीति’ ही माना जाएगा।

इस मुद्दे ने साफ कर दिया है कि गांव की जनता अब सिर्फ प्रतीकात्मक बदलावों से संतुष्ट नहीं है। उसे बुनियादी विकास, पारदर्शिता और संवाद की ज़रूरत है। अगर सरकार सच में इस विषय को आगे बढ़ाना चाहती है, तो सभी समुदायों को साथ लेकर, विधिक प्रक्रिया के तहत ही कोई कदम उठाना होगा — वरना यह फैसला ना केवल गांव में फूट डालेगा, बल्कि आगामी चुनावों में राजनीतिक असर भी दिखा सकता है।

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