(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार। ग्राम सलेमपुर महदूद, तहसील व जिला हरिद्वार के ग्रामीणों ने सोमवार को जिला अधिकारी मयूर दीक्षित को एक ज्ञापन सौंपकर गांव का नाम बदलने के निर्णय पर आपत्ति जताई है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने मांग की कि किसी भी नाम परिवर्तन से पहले ग्राम सभा की खुली बैठक बुलाकर सभी ग्रामीणों की राय ली जाए।
हाल ही में हरिद्वार के रोशनाबाद गांव में आयोजित ऑल इंडिया धनगर समाज और लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर महासंघ
के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ग्राम सभा सलेमपुर का नाम बदलकर “लोकमाता अहिल्याबाई” रखने की घोषणा की थी। इस घोषणा की जानकारी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से अन्य समाजों और धर्मों के ग्रामीणों को हुई, जिसके बाद यह विरोध सामने आया।
ग्रामीणों ने ज्ञापन में लिखा कि सलेमपुर एक ऐतिहासिक गांव है, जिसकी स्थापना वर्ष 1374 में हुई थी, और यह क्षेत्र अपनी प्राचीन पहचान और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।
ग्रामीणों का मानना है कि लोकमाता अहिल्याबाई जैसी महान विभूति का नाम एक छोटे से गांव से जोड़ना उनके गौरव के साथ न्याय नहीं करता।
उन्होंने सुझाव दिया कि यदि लोकमाता अहिल्याबाई को सम्मान देना ही है तो किसी बड़े संस्थान जैसे महाविद्यालय, अस्पताल, रेलवे स्टेशन या जिला स्तर की किसी बड़ी परियोजना को उनके नाम से जोड़ा जाए।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हरिद्वार जैसे पवित्र जनपद के नाम के साथ यदि लोकमाता का नाम जुड़ता है, तो उससे राष्ट्रीय स्तर पर अधिक सम्मान प्राप्त होगा।
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि वे परिवर्तन के विरोधी नहीं हैं, लेकिन बिना सर्वसम्मति और ग्राम पंचायत की प्रक्रिया के गांव की प्राचीन पहचान मिटाना उचित नहीं है।
