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उत्तराखण्ड सहित चार राज्यों के बीएलओ और चुनाव अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ

(शहजाद अली हरिद्वार)भारत निर्वाचन आयोग की पहल पर दिल्ली स्थित भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (IIIDEM) में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ हुआ है। इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के फील्ड स्तर के चुनाव अधिकारी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन देश के मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार द्वारा किया गया। उन्होंने इस अवसर पर सभी 353 प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए प्रशिक्षण की उपयोगिता और चुनावी प्रक्रिया की संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला।

“हर मतदाता की भागीदारी, सशक्त लोकतंत्र की निशानी।”

उत्तराखण्ड से इस प्रशिक्षण में तीन जिला निर्वाचन अधिकारी—ऊधमसिंहनगर, चम्पावत और बागेश्वर, 12 निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) तथा राज्य की सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों से नामित 70 बीएलओ/बीएलओ सुपरवाइजर भाग ले रहे हैं। इन ईआरओ अधिकारियों में उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल सहित अन्य जनपदों के एसडीएम स्तर के अधिकारी शामिल हैं।

“सही जानकारी से ही होता है सटीक निर्णय संभव।”

मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया को कानून के अनुरूप सुचारू रूप से संचालित करने हेतु प्रशिक्षण अनिवार्य है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, निर्वाचक पंजीकरण नियम 1960, चुनाव संचालन नियम 1961 एवं आयोग द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों की सटीक समझ विकसित करने में सहायक होगा।

“बीएलओ ही है मतदाता और चुनाव आयोग के बीच की सबसे मजबूत कड़ी।”

उन्होंने विशेष रूप से आरपी अधिनियम 1950 की धारा 24(ए) और 24(बी) के अंतर्गत प्रथम और द्वितीय अपील की प्रक्रिया की जानकारी पर बल दिया। इन प्रावधानों के अंतर्गत जिला मजिस्ट्रेट और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को मतदाता सूची से संबंधित अपीलें प्राप्त होती हैं। बीएलओ और उनके सुपरवाइजर को इन प्रावधानों की जानकारी आम मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया गया।

“शिक्षित अधिकारी, पारदर्शी चुनाव।”

पिछले दो महीनों में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 3,350 से अधिक बीएलओ स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मंगलवार को संपन्न होगा, जिसके बाद प्रतिभागी अपने-अपने क्षेत्रों में जागरूकता और पारदर्शिता के साथ चुनाव कार्यों को अंजाम देंगे।

“प्रशिक्षण से ही निखरता है सेवा का संकल्प।”

यह पहल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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