(शहजाद अली हरिद्वार)उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में प्रतिभाग किया और राज्य में लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) पर प्रस्तुति दी।उन्होंने बताया कि यह उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिससे समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए राज्य सरकार ने तकनीकी और प्रशासनिक दृष्टि से मजबूत प्रणाली तैयार की है।
इसके अंतर्गत एक पोर्टल और समर्पित मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, जिससे आम नागरिकों को इसकी प्रक्रिया सरल एवं सुलभ रूप में उपलब्ध हो सके।
साथ ही 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स को भी इससे जोड़ा गया है। शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम और ऑटो एस्केलेशन सुविधा भी शुरू की गई है।
यूसीसी लागू करने की प्रक्रिया:
केवल चार महीनों में राज्यभर से 1.5 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, और राज्य के लगभग 98% गांवों से भागीदारी दर्शाती है कि जनता को इस कानून का भरपूर समर्थन मिला है।
डिजिटल पहल और जनसहभागिता
उन्होंने बताया कि 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई, जिसने प्रदेश के सभी 13 जिलों में व्यापक जन-सुनवाई की और लगभग 2.32 लाख सुझाव प्राप्त किए। समिति ने आम नागरिकों के साथ-साथ राजनीतिक दलों और आयोगों से भी विचार-विमर्श किया।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आभार
7 फरवरी 2024 को यह विधेयक राज्य विधानसभा में पारित हुआ और 11 मार्च 2024 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद 27 जनवरी 2025 को इसे विधिवत लागू किया गया। इस प्रकार उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने अनुच्छेद 44 के अंतर्गत समान नागरिक संहिता को व्यवहारिक रूप में लागू किया।
यूसीसी ड्राफ्ट समिति
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कानून किसी धर्म या संप्रदाय के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह समाज से कुप्रथाओं को समाप्त कर सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास है।
विधेयक का पारित और अधिनियमित होना
इसके तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार जैसे मामलों में एक समान कानूनी प्रक्रिया निर्धारित की गई है। अब बहुविवाह, तीन तलाक, हलाला जैसी कुप्रथाओं पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म से हों। लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी रूप से पंजीकृत करना अनिवार्य किया गया है और यह सूचना गोपनीय रूप से माता-पिता को दी जाएगी।
समाज सुधार और समानता की दिशा में कदम:
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातियों को इस कानून से बाहर रखा गया है ताकि उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों का संरक्षण हो सके। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह कानून महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समरसता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
