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“स्वच्छोत्सव 2025: हरिद्वार के घाटों और गलियों में छाया स्वच्छता का महाकुंभ, प्रशासन और जनता संग आईटीसी मिशन सुनहरा कल ने संभाली अगुवाई, मंदिरों से बाज़ार तक गूँजे स्वच्छता संदेश, हरिद्वार बना स्वच्छ भारत आंदोलन का नया प्रतीक”

(शहजाद अली हरिद्वार)हरिद्वार, 16 सितम्बर 2025।गंगा तट पर बसा पवित्र नगर हरिद्वार एक बार फिर देशभर के लिए प्रेरणा का केंद्र बना। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत “स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम की श्रृंखला में स्वच्छोत्सव 2025 का शुभारंभ आज कनखल क्षेत्र से हुआ। इस अवसर पर प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं और व्यापारी वर्ग ने मिलकर यह संकल्प लिया कि हरिद्वार को केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का आदर्श भी बनाया जाएगा।कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी की ओर से किया गया, वहीं इस पूरे अभियान के नोडल अधिकारी के रूप में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी श्रीमती मीरा रावत को नामित किया गया।

आईटीसी मिशन सुनहरा कल की महत्वपूर्ण भूमिका

हरिद्वार में स्वच्छोत्सव की सफलता में निजी संस्थाओं का भी अहम योगदान रहा। विशेषकर आईटीसी मिशन सुनहरा कल और उसकी सहयोगी संस्था श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम ने पूरे अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई।गौरतलब है कि आईटीसी मिशन सुनहरा कल पहले से ही हरिद्वार ज़िले के 220 मंदिरों, नगर पालिका शिवालिक नगर (वार्ड 5–13) और विकासखंड बहादराबाद के कई गाँवों में नियमित स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और विद्यालय उन्नयन कार्यक्रम संचालित कर रहा है। मंदिरों की दीवारों पर स्वच्छता और जागरूकता से जुड़ी भित्तिचित्र पेंटिंग्स, स्कूलों में साफ-सफाई की व्यवस्था, ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन जैसी पहलें इस मिशन को विशेष बनाती हैं।

कार्यक्रम की झलकियाँ

आज के दिन कनखल झंडा चौक से इस अभियान की शुरुआत हुई। आयोजन के विभिन्न चरण इस प्रकार रहे:

कनखल झंडा चौक से अभियान का शुभारंभ

स्थानीय दुकानदारों से संवाद एवं स्वच्छता संकल्प

झाड़ू लगाकर वृहत सफाई अभियान

स्वच्छता रैली (झंडा चौक से होली चौक तक)

नागरिकों को स्वच्छता शपथ

स्वच्छता नारे एवं जनजागरूकता संदेशों का प्रसार

नगर की गलियों में जब प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएँ, बच्चे और व्यापारी झाड़ू लगाते दिखे, तो यह दृश्य एक नए सामाजिक आंदोलन की तरह प्रतीत हुआ।

शपथ और संदेश

कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभाते हुए श्रीमती मीरा रावत ने झंडा चौक पर नागरिकों को शपथ दिलाई। उन्होंने कहा:

> “स्वच्छता केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह जीवन की आवश्यकता है। हर नागरिक को अपने घर, गली और कार्यस्थल की जिम्मेदारी स्वयं निभानी होगी। मंदिरों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों को साफ रखना हम सबका कर्तव्य है। हरिद्वार जैसे पवित्र नगर को स्वच्छता का आदर्श बनाना हमारी साझा जिम्मेदारी है।”इसी अवसर पर कनखल व्यापार मंडल के सदस्य मनीष जी ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा:

> “सरकार का यह कदम सराहनीय है। ऐसे आयोजन समाज में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की चेतना गहराते हैं। आईटीसी मिशन सुनहरा कल द्वारा मंदिरों में चलाए जा रहे स्वच्छता कार्यक्रम और दीवार पेंटिंग जैसे प्रयास अनुकरणीय हैं।”

विशेष प्रतिभागिता

इस कार्यक्रम में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, नगर निगम, आईटीसी मिशन सुनहरा कल, श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम, और स्थानीय दुकानदारों सहित लगभग 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया।आईटीसी मिशन सुनहरा कल की ओर से डॉ. पंत, आदित्य, सौरभ, लुबना, दीपक, विमला, जूली, बबली, स्नेहा, दीपिका, शिखा और ग्रीन टेंपल सुपरवाइज़र आशू कुमार की उपस्थिति ने आयोजन को और भी प्रभावी बना दिया।

स्वच्छता के नारे

अभियान के दौरान पूरे नगर में विभिन्न स्वच्छता नारे गूँजते रहे:

🧹 “स्वच्छता है सेवा महान, रखें देश का ऊँचा सम्मान।”
🌱 “मंदिर हो या चौक–चौराहा, स्वच्छ रहे तो सुंदर नज़ारा।”
🚮 “कचरा फैलाना बंद करो, डस्टबिन का उपयोग करो।”
💧 “स्वच्छता और जल संरक्षण, जीवन का है सही समाधान।”

ये नारे केवल शब्द नहीं थे, बल्कि जनचेतना जगाने के सशक्त माध्यम साबित हुए।

सामाजिक जागरूकता का नया अध्याय

स्वच्छोत्सव 2025 ने हरिद्वारवासियों को यह संदेश दिया कि स्वच्छता का संबंध केवल धार्मिक पर्यटन से नहीं, बल्कि सीधे-सीधे जनस्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी से भी है।

स्वच्छ मंदिर और घाट आने वाले श्रद्धालुओं को सकारात्मक अनुभव देते हैं।

साफ-सुथरी गलियाँ और बाजार नगर की पहचान को और ऊँचा उठाते हैं।

प्लास्टिक और कचरे के सही निपटान से गंगा की निर्मलता बनी रहती है।

बच्चों और युवाओं को शुरू से ही स्वच्छता की आदतें सिखाई जाती हैं।

 

प्रशासन और जनता की साझा जिम्मेदारी

स्वच्छोत्सव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि इसमें प्रशासन और जनता की साझी भागीदारी देखने को मिली।
अक्सर सरकारी कार्यक्रम केवल औपचारिकताओं तक सीमित रह जाते हैं, लेकिन यहाँ दुकानदारों ने स्वयं झाड़ू उठाई, महिलाओं ने नारों के साथ रैली निकाली और बच्चे स्वच्छता शपथ लेते दिखे।

यह स्पष्ट संकेत है कि अब स्वच्छता केवल “सरकारी आदेश” नहीं, बल्कि जनांदोलन बन चुकी है।

भविष्य की दिशा

इस कार्यक्रम ने हरिद्वार प्रशासन और संस्थाओं को आने वाले समय की राह भी दिखाई।

1. नियमित सफाई अभियान – केवल उत्सव तक सीमित न रहकर इसे नियमित गतिविधि बनाया जाएगा।

2. कचरा प्रबंधन योजना – डस्टबिन, सेग्रीगेशन और पुनर्चक्रण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

3. धार्मिक स्थलों पर सफाई – मंदिरों और घाटों पर अलग से टीम तैनात की जाएगी।

4. जनजागरूकता कार्यक्रम – स्कूलों, कॉलेजों और मोहल्लों में जागरूकता अभियान जारी रहेंगे।

5. निगरानी और मूल्यांकन – नगर निगम और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नियमित रूप से इन प्रयासों का मूल्यांकन करेंगे।

 

निष्कर्ष

हरिद्वार, जो गंगा स्नान और धार्मिक आस्थाओं का केंद्र है, अब स्वच्छता आंदोलन का भी अग्रदूत बन रहा है।
स्वच्छोत्सव 2025 ने यह साबित किया कि जब प्रशासन, सामाजिक संस्थाएँ, व्यापारी और आमजन एकजुट होते हैं, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल करना कठिन नहीं होता।

इस अभियान ने नगरवासियों को यह अहसास कराया कि स्वच्छता केवल बाहरी चमक-दमक नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन और आध्यात्मिक शांति की आधारशिला है।

हरिद्वार को स्वच्छ, सुंदर और पर्यावरण के अनुकूल शहर बनाने का जो संकल्प आज लिया गया, वह आने वाले वर्षों में एक नए भारत की स्वच्छ तस्वीर गढ़ने में मील का पत्थर साबित होगा।

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