(शहजाद अली हरिद्वार) हरिद्वार। हरिद्वार की पवित्र धरती पर इस बार एक ऐतिहासिक अवसर को भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। पत्रकारिता के क्षेत्र में यह वह क्षण है, जब हिंदी पत्रकारिता अपने 200 स्वर्णिम वर्षों का जश्न मना रही है। इस विशेष अवसर पर प्रेस क्लब (रजि.) हरिद्वार एक वर्षव्यापी कार्यक्रम श्रृंखला की शुरुआत कर रहा है, जो “हिंदी पत्रकारिता द्विशताब्दी समारोह” के रूप में इतिहास में दर्ज होगा।
यह महोत्सव न केवल पत्रकारिता की परंपरा और उसके मूल्यों का स्मरण कराएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा कि कैसे शब्दों की शक्ति से समाज का मार्गदर्शन किया जा सकता है।
समारोह का शुभारंभ सोमवार, 11 अगस्त 2025 को प्रेस क्लब, हरिद्वार के सभागार में व्याख्यान माला के आयोजन के साथ होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे जूना पीठाधीश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता होंगे हिंदी पत्रकारिता के इतिहासविद, लेखक और माधवराव स्प्रे संग्रहालय (भोपाल) के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर।
कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा पं. जुगल किशोर शुक्ल को पुष्पांजलि अर्पित कर की जाएगी, जिन्होंने 30 मई 1826 को “उदंत मार्तंड” का प्रकाशन कर हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी। इस साप्ताहिक समाचार पत्र के माध्यम से हिंदी भाषियों को पहली बार अपनी भाषा में समाचार पढ़ने का अधिकार मिला, जिसने आगे चलकर पत्रकारिता को एक आंदोलन में बदल दिया। आज, दो शताब्दियों के बाद भी, पं. शुक्ल का योगदान पत्रकारिता के स्तंभ के रूप में जीवंत है।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि पत्रकारिता केवल समाचारों का माध्यम नहीं, बल्कि एक मिशन है। इसकी पहली चुनौती है निस्वार्थ पुरुषार्थ, दूसरी है जनविश्वास और तीसरी है भाषा की मर्यादा और शुद्धता। उन्होंने विद्यार्थियों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दक्ष बनने, गहन अध्ययन करने और सदैव विनम्र एवं निष्पक्ष रहने की सीख दी।
इस आयोजन को सफल बनाने में प्रेस क्लब की पूरी टीम सक्रिय है। संयोजक डॉ. शिवा अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार गुलशन नैय्यर, महासचिव दीपक मिश्रा, कोषाध्यक्ष काशीराम सैनी, समारोह सचिव आशु शर्मा सहित संयोजन मंडल के अनेक सदस्य जैसे डॉ. मनोज सोही, विकास कुमार झा, मयूर सैनी, आशीष मिश्रा, संजय रावल आदि लगातार जुटे हुए हैं।
यह समारोह सिर्फ अतीत का स्मरण नहीं, बल्कि वर्तमान की जिम्मेदारी और भविष्य के संकल्प का प्रतीक है। हिंदी पत्रकारिता की यह द्विशताब्दी यात्रा बताती है कि सत्य, साहस और समाजसेवा के मूल्यों के साथ जब शब्द चलते हैं, तो वे इतिहास बनाते हैं।
