(शहजाद अली हरिद्वार) बहादराबाद। उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में बहादराबाद टोल प्लाजा पर किसानों का धरना अंततः पांच दिन बाद समाप्त हो गया। किसानों ने सोमवार को देहरादून जाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और अपनी सभी प्रमुख मांगों को उनके सामने रखा।
मुख्यमंत्री ने सहानुभूतिपूर्वक किसानों की बातों को सुना और समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया। इस मुलाकात के बाद किसानों ने आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया।
धरना खत्म होने के तुरंत बाद हरिद्वार के जिलाधिकारी (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) स्वयं बहादराबाद धरना स्थल पर पहुंचे और किसानों को प्रशासन की ओर से आश्वस्त किया कि उनकी मांगों को गंभीरता से लिया जाएगा।
डीएम ने स्पष्ट कहा कि स्मार्ट मीटर किसी भी हाल में जबरदस्ती नहीं लगाए जाएंगे। इसके लिए पहले ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि लोग समझ सकें कि स्मार्ट मीटर लगाने से उन्हें क्या लाभ मिलेगा। वहीं, जो उपभोक्ता स्मार्ट मीटर लगाने के लिए तैयार होंगे, केवल उन्हीं के मीटर बदले जाएंगे।
इसी के साथ किसानों की एक और प्रमुख मांग पर भी कार्रवाई की गई। धरना स्थल पर मौजूद किसानों के दबाव और नेताओं की मांग पर एसएसपी ने घोषणा की कि बहादराबाद थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश राठौर का तबादला चमोली कर दिया गया है।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
किसानों का यह आंदोलन अचानक नहीं था, बल्कि पिछले कई महीनों से बिजली बिलों में लगातार बढ़ोतरी, स्मार्ट मीटर लगाने में हो रही मनमानी, और स्थानीय स्तर पर पुलिस प्रशासन के साथ कुछ विवादों के चलते किसानों में असंतोष पनप रहा था।बहादराबाद क्षेत्र हरिद्वार जिले का प्रमुख इलाका है, जहां बड़ी संख्या में किसान रहते हैं। बिजली आपूर्ति, सिंचाई की समस्याएँ और पुलिस के साथ टकराव जैसे मुद्दे लंबे समय से किसानों को परेशान कर रहे थे।
यही कारण रहा कि जब किसानों ने अपनी आवाज बुलंद करने का फैसला किया तो उन्होंने बहादराबाद टोल प्लाजा को ही धरना स्थल चुना।
पांच दिन तक चले इस धरने में किसानों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। टोल प्लाजा से गुजरने वाले आम लोगों को भी इस आंदोलन की वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि, किसानों का कहना था कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
किसानों की प्रमुख मांगें
धरने के दौरान किसानों ने कई अहम मांगें प्रशासन और सरकार के सामने रखीं। इनमें से मुख्य मांगें इस प्रकार रहीं:
- स्मार्ट मीटर लगाने में जबरदस्ती न की जाए।
किसानों का कहना था कि बिना सहमति के उनके घरों में स्मार्ट मीटर बदले जा रहे हैं। नए मीटर के कारण बिजली बिल पहले की तुलना में ज्यादा आ रहे हैं, जिससे ग्रामीण और किसान वर्ग परेशान हैं। - पुलिस प्रशासन की कार्यशैली में सुधार।
किसानों ने बहादराबाद थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश राठौर पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि किसानों की समस्याओं को सुनने के बजाय उन्हें अनदेखा किया जाता है। इसी वजह से उनके तबादले की मांग की गई। - किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए नियमित किसान दिवस।
किसानों ने मांग की कि तहसील स्तर पर नियमित रूप से किसान दिवस का आयोजन हो, ताकि उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान किया जा सके।
मुख्यमंत्री से मुलाकात
सोमवार को किसान नेताओं का प्रतिनिधि मंडल देहरादून गया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधियों से लंबी बातचीत की और उन्हें विश्वास दिलाया कि सरकार किसानों के हितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का उत्थान राज्य सरकार की प्राथमिकता है और सरकार किसानों की हर जायज मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाए।
मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के बाद किसान नेताओं ने धरना समाप्त करने पर सहमति जताई।
प्रशासन की पहल और आश्वासन
धरना समाप्त होने के बाद हरिद्वार डीएम और एसएसपी खुद बहादराबाद पहुंचे। डीएम ने किसानों को भरोसा दिलाया कि अब उनकी समस्याओं का समाधान तहसील स्तर पर ही किया जाएगा।
- स्मार्ट मीटर पर आश्वासन: डीएम ने साफ कहा कि किसी भी उपभोक्ता पर स्मार्ट मीटर थोपे नहीं जाएंगे। पहले लोगों को इसके फायदे और कामकाज की जानकारी दी जाएगी, फिर उनकी सहमति पर मीटर लगाए जाएंगे।
- पुलिस अधिकारी का तबादला: एसएसपी ने किसानों की नाराजगी देखते हुए यह भी बताया कि इंस्पेक्टर नरेश राठौर का तबादला चमोली कर दिया गया है। यह निर्णय किसानों की प्रमुख मांगों में से एक था।
इन दोनों फैसलों से किसानों में संतोष की भावना देखने को मिली और उन्होंने धरना समाप्त कर दिया।
आंदोलन का असर
यह धरना पांच दिनों तक चला और इस दौरान न केवल किसानों बल्कि आम जनता और प्रशासन पर भी इसका व्यापक असर पड़ा। टोल प्लाजा पर धरना होने के कारण यातायात प्रभावित हुआ, वहीं स्थानीय दुकानदारों को भी परेशानी झेलनी पड़ी।हालांकि, इस आंदोलन का सबसे बड़ा असर यह रहा कि किसानों की आवाज सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंची और प्रशासन को भी उनकी मांगों को गंभीरता से सुनना पड़ा।
किसानों का विश्वास और भविष्य की चुनौतियाँ
धरना खत्म होने के बाद किसान नेताओं ने कहा कि फिलहाल वे मुख्यमंत्री और प्रशासन पर विश्वास कर रहे हैं, लेकिन यदि समस्याओं का समाधान समय पर नहीं किया गया तो वे फिर से आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
किसान यूनियन के नेताओं का कहना है कि सरकार और प्रशासन को किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता पर लेना चाहिए। बिजली, सिंचाई, और फसलों के दाम जैसे मुद्दों पर ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
निष्कर्ष
बहादराबाद टोल प्लाजा पर चला यह पांच दिन का धरना भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन इसने सरकार और प्रशासन को यह संदेश जरूर दे दिया है कि किसानों की अनदेखी करना अब आसान नहीं है। किसानों ने अपनी एकजुटता और हक की लड़ाई लड़ने का साहस दिखाया है।
मुख्यमंत्री के आश्वासन और प्रशासन के त्वरित फैसलों ने फिलहाल स्थिति को संभाल लिया है। लेकिन आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि वाकई किसानों की समस्याओं का समाधान कितना जल्दी और कितनी गंभीरता से किया जाता है
