(शहजाद अली हरिद्वार) हरिद्वार। कांवड़ मेला 2025 का आयोजन पूरे उत्तर भारत में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ चल रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य पवित्र स्थलों पर शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इसी बीच एक ऐसी घटना सामने आई जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया, लेकिन उत्तराखंड पुलिस की त्वरित कार्रवाई और जवानों की बहादुरी ने एक कांवड़िए की जान बचाकर सभी को राहत की सांस दी।
यह घटना आज की है जब उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के ग्राम खंन्दरावली निवासी सौरव पुत्र श्री संतोष कुमार गंगा स्नान के बाद तैरकर गंगा पार करने का प्रयास कर रहा था। गंगा का बहाव उस समय अत्यधिक तेज था और चेतावनी के बावजूद कुछ श्रद्धालु गहराई की ओर बढ़ जाते हैं। सौरव ने जैसे ही तैरना शुरू किया, वह कुछ दूर जाकर तेज धारा की चपेट में आ गया और बहता चला गया।
स्थिति अत्यंत नाजुक हो गई जब सौरव बहते-बहते पुल के मध्य में लगी सुरक्षा जंजीरों तक पहुंचा और किसी तरह खुद को वहां थाम लिया। परंतु गंगा की धारा इतनी प्रबल थी कि सौरव के हाथ कब तक मजबूती से जंजीर पकड़ कर रह पाते, यह कहना मुश्किल था। वहां उपस्थित श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया। कुछ लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
घटना की जानकारी मिलते ही घाट पर तैनात उत्तराखंड पुलिस की रेस्क्यू टीम हरकत में आई। टीम में शामिल सब-इंस्पेक्टर इखलाक मलिक और कांस्टेबल संतराम नेगी ने बिना समय गंवाए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। दोनों जवानों ने रेस्क्यू जैकेट, लाइफ बोट और अन्य उपकरणों की सहायता से बहादुरी के साथ गंगा की तेज धारा में उतरकर सौरव तक पहुंचने का प्रयास किया।
रेस्क्यू का यह दृश्य अत्यंत रोमांचक और प्रेरणादायक था। उपस्थित लोग सांसें रोककर पूरी घटना को देख रहे थे। कुछ ही मिनटों में दोनों पुलिसकर्मी सौरव के पास पहुंचे और उसे धीरे-धीरे किनारे की ओर खींचना शुरू किया। गंगा की धाराएं जहां एक ओर रुकने का नाम नहीं ले रही थीं, वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड पुलिस के जवान अपने फर्ज को पूरी निष्ठा से निभा रहे थे।
लगभग 15 मिनट के प्रयास के बाद दोनों जवान सौरव को सुरक्षित घाट पर ले आए। सौरव की हालत अत्यंत कमजोर थी और उसे तुरंत प्राथमिक चिकित्सा दी गई। उसकी जान बच गई और उसने रोते हुए उन पुलिसकर्मियों का धन्यवाद किया, जिनकी वजह से आज वह अपने परिवार के पास लौट सकेगा।
यह घटना न सिर्फ उत्तराखंड पुलिस की तत्परता का उदाहरण है बल्कि उन अनगिनत जवानों की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है जो कांवड़ यात्रा जैसे बड़े आयोजनों में दिन-रात ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।
रेस्क्यू टीम में शामिल सब-इंस्पेक्टर इखलाक मलिक और कांस्टेबल संतराम नेगी की जितनी तारीफ की जाए, कम है। दोनों ही जवानों ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा और एक अमूल्य जीवन को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। स्थानीय लोग, मेला प्रशासन और श्रद्धालु इस साहसी कार्य के लिए उन्हें सलाम कर रहे हैं।
हरिद्वार जिला प्रशासन और मेला नियंत्रण कक्ष की ओर से भी दोनों पुलिसकर्मियों की सराहना की गई। मेला एसपी ने भी बयान जारी कर कहा कि इस प्रकार की घटनाएं अप्रत्याशित होती हैं, लेकिन हमारी टीमें हर आपात स्थिति के लिए तैयार रहती हैं।
इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने यह सिद्ध कर दिया कि उत्तराखंड पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि हर संकट की घड़ी में जनता के लिए सबसे पहले खड़ी होती है।
साथ ही इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासन द्वारा जारी चेतावनियों को नजरअंदाज करना कितना खतरनाक हो सकता है। बार-बार माइक से घोषणाएं की जाती हैं कि गंगा में स्नान करते समय गहराई में न जाएं, तैराकी का प्रयास न करें, फिर भी कुछ श्रद्धालु उत्साह या लापरवाही में यह गलतियां कर बैठते हैं। सौरव सौभाग्यशाली रहे कि सही समय पर पुलिस की मदद मिल गई, लेकिन भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए श्रद्धालुओं को भी सचेत रहने की आवश्यकता है।
यह घटना हर उस व्यक्ति के लिए एक सीख है जो यात्रा के दौरान अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज कर देता है।
निष्कर्षतः, कांवड़ मेला केवल भक्ति और आस्था का आयोजन नहीं है, बल्कि यह अनुशासन, सुरक्षा और सेवा का भी जीवंत उदाहरण बन चुका है। उत्तराखंड पुलिस जैसी समर्पित फोर्स की सतर्कता से ही यह विशाल मेला सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है। सब-इंस्पेक्टर इखलाक मलिक और कांस्टेबल संतराम नेगी की यह बहादुरी आने वाले वर्षों तक याद रखी जाएगी और युवाओं को प्रेरणा देती रहेगी।
